Edited By ,Updated: 28 Jan, 2015 08:16 AM
सनातन धर्म में देवी-देवताओं के पूजन से संबंधित बहुत सी परम्पराएं प्रचलित हैं। इन्हीें परम्पराओं का अहम हिस्सा है भगवान पर फूल चढ़ाना।
सनातन धर्म में देवी देवताओं के पूजन से संबंधित बहुत सी परम्पराएं प्रचलित हैं। इन्हीें परम्पराओं का अहम हिस्सा है भगवान पर फूल चढ़ाना। मान्यता है कि भगवान का पूजन करते समय जब फूल अर्पित किए जाते हैं तो उन फूलों से अद्भुत ऊर्जा की रचना सारे घर में होती है और इससे घर में सुख-समृद्धि आती है। घर में फूल आने के 48 घंटे बाद उसका शुभ प्रभाव नष्ट हो जाता है। फूलों का सुप्रभाव बनाए रखने के लिए भगवान को हमेशा ताजे फूल ही चढ़ाएं।
भगवान को हमेशा ताजे फूल ही अर्पित करें सुखे या मुरझाए फूलों से भगवान का श्रृंगार करना उचित नहीं है। अन्य धार्मिक अनुष्ठान करते समय भी ताजे फूलों का ही प्रयोग करें। फूलों की महक, सौन्दर्य और मनोहरता से पूजन करने वाले जातक के तन और मन को रम्यता और शांति का एहसास होता है।
वास्तु के अनुसार घर के किसी भी खंड की शक्ति में वृद्धि करने के लिए फूलों का बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जाता है। ताजे फूलों को घर में सजाएं लेकिन जब यह मुरझाने लगें तो इन्हें फौरन हटा दें। ताजे फूल जीवन का प्रतीक हैं और मुरझाए मृत्यु के सूचक हैं, ये नकारात्मक ऊर्जा छोड़ते हैं। फूलों को शयनकक्ष में रखने की बजाए ड्रॉइंगरूम में रखना ठीक होगा और सबसे उत्तम होगा इन्हें पूजा घर में सुबह-सवेरे भगवान को अर्पित करें।