आंखों के रोग सूर्य मंत्र से होंगे दूर

Edited By ,Updated: 27 Jan, 2015 07:32 AM

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वैदिक साहित्य में सूर्य को जीवनदाता और जीवनपालक कहा जाता है। मत्स्य पुराण के अनुसार सूर्य अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करने वाले देव हैं।

वैदिक साहित्य में सूर्य को जीवनदाता और जीवनपालक कहा जाता है। मत्स्य पुराण के अनुसार सूर्य अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करने वाले देव हैं। सूर्य की किरणों में बीमारियों को पैदा करने वाले तत्वों को खत्म कर अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करने की शक्ति होती है। सूर्य की किरणें दिन के किसी भी समय इतनी प्रभावशाली और लाभदायक नहीं होतीं जितनी कि सुबह के समय होती हैं। 

हर रोज सुबह सूर्य को तांबे के बर्तन में जल चढ़ाने से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं, आंखों की ज्योति बढ़ती है और त्वचा में चमक पैदा होती है। घर परिवार और समाज में मान-सम्मान व यश की प्राप्ति होती है। प्रतिदिन ऐसा करने से नेत्र रोग होने की संभावना कम रहती है।

सूर्य को जल अर्पित करते समय स्मरण रहे सूर्य की किरणें कभी भी सीधे मत देखें। जल चढ़ाते समय पानी की धारा के बीच से सूर्य को देखें। ऐसा करने से आंखों की ज्योति बढ़ेगी। सुबह 7-8 बजे तक जल चढ़ा लेना चाहिए। अधिक देर से जल नहीं चढ़ाना चाहिए।

निम्नलिखित मंत्र का नियमित जाप करने से नेत्र रोगों से बचाव होता है और आंखों की रोशनी भी बढ़ती है।

सूर्य मंत्र:  ॐ अस्याश्चाक्षुषीविद्याया अहिर्बुध्न्य ऋषिः, गायत्री छन्दः, सूर्यो देवता, ॐ बीजम्, नमः शक्तिः, स्वाहा कीलकम्, चक्षूरोगनिवृत्तये जपे विनियोगः। 

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