17 वर्ष बाद भी गांव झंगड़ भैणी का स्कूल अपग्रेड नहीं

Edited By ,Updated: 25 Jan, 2015 11:39 PM

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पंजाब सरकार शिक्षा के प्रसार के लिए करोड़ों रुपए व्यय कर स्कूल तो बना देती है परन्तु बाद में यह कोई नहीं देखता कि उन स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों ...

फाजिल्का (नागपाल): पंजाब सरकार शिक्षा के प्रसार के लिए करोड़ों रुपए व्यय कर स्कूल तो बना देती है परन्तु बाद में यह कोई नहीं देखता कि उन स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को स्टाफ व अन्य मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हो रही हैं या नहीं। इसका एक सटीक प्रमाण फाजिल्का उपमंडल के  सीमावर्ती गांव झंगड़ भैणी के सरकारी स्कूल को देखने से मिलता है। गांव के प्राइमरी स्कूल को 6 नवम्बर 1997 को अपग्रेड कर सीनियर सैकेंडरी स्कूल बनाने का शिलान्यास पंजाब के तत्कालीन व वर्तमान मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने किया था, लेकिन आज तक भी यह स्कूल व्यावहारिक रूप से क्रमोन्नत नहीं हो सका। 

उस समय स्कूल का दर्जा बढ़ाने संबंधी विशाल समारोह का आयोजन किया गया जिसमें तत्कालीन शिक्षा मंत्री तोता सिंह, शिक्षा राज्य मंत्री स्वर्णा राम, विधायक शेर सिंह व शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों सहित क्षेत्र के ग्रामीण जन प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। मुख्यमंत्री द्वारा इस गांव के प्राइमरी स्कूल को सीधा सैकेंडरी स्कूल का दर्जा देते हुए नए भवन का नींव पत्थर रखा। 
 
इस स्कूल का विशेष तौर पर माडल तैयार किया गया जिसमें स्कूल की कक्षाओं के कमरे, कार्यालय के अतिरिक्त होस्टल व अन्य स्टाफ के रहने के लिए व्यवस्था की गई थी। बादल द्वारा स्कूल के भवन के लिए 20 लाख रुपए की अनुदान राशि भी देने की घोषणा की गई थी। उल्लेखनीय है कि यह पहली बार था कि शिक्षा विभाग में किसी स्कूल को प्राइमरी स्कूल से सीधे सीनियर सैकेंडरी स्कूल बनाया गया था, जबकि विभागीय नियमों के अनुसार प्राइमरी से मिडल, मिडल से हाई और हाई से सीनियर सैकेंडरी स्कूल अपग्रेड किया जाता है। 
 
अनुदान राशि से नए स्कूल के नए बने आधुनिक नक्शे के अनुसार 7 कमरों का निर्माण व चारदीवारी का कार्य तो पूर्ण हो गया। तदोपरांत 1 जुलाई 1998 से स्कूल का स्तर मिडल कर दिया गया। दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह रहा कि इस स्कूल में विभागीय नियमों के अनुसार किसी अध्यापक के पद को स्वीकृति नहीं दी गई और निकटवर्ती गांवों के स्कूलों के अध्यापकों को प्रतिनियुक्ति पर बुलाकर कार्य चलाया जाता रहा। 
 
विद्यार्थियों की परेशानी
 
इसके अतिरिक्त 10वीं कक्षा के विद्यार्थियों को परीक्षा देने के लिए 14-15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सरकारी हाई स्कूल बहक बोदला जाना पड़ता है। उन्होंने बताया कि 10वीं के बाद इस क्षेत्र की कई लड़कियां उच्च शिक्षा हेतु स्कूल जाना बंद कर देती हैं क्योंकि अन्य सीनियर सैकेंडरी स्कूल दूर पड़ते हैं। 
 
शिक्षा शास्त्री, पंचायत व क्लब के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल व शिक्षा मंत्री दलजीत सिंह चीमा से मांग की है कि इस स्कूल को सीनियर सैकेंडरी स्कूल के रूप में पदोन्नत किया जाए व वर्तमान में रिक्त पड़े पदों को अविलंब भरा जाए। साथ ही मूलभूत सुविधाएं जैसे स्वच्छ पानी के लिए आर.ओ., खेल का मैदान, आवश्यकता अनुसार अन्य कक्ष और विद्यार्थियों के बैठने के लिए फर्नीचर उपलब्ध करवाया जाए।

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