Edited By ,Updated: 28 Jan, 2015 07:32 PM
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दया याचिका पर फैसला करने में ‘अत्यधिक देरी’ के आधार पर आज वर्ष 2006 के निठारी मामले के दोषी सुरेंद्र कोली की मौत की सजा घटाकर आजीवन कारावास में तब्दील कर दी।
नई दिल्ली: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दया याचिका पर फैसला करने में ‘अत्यधिक देरी’ के आधार पर आज वर्ष 2006 के निठारी मामले के दोषी सुरेंद्र कोली की मौत की सजा घटाकर आजीवन कारावास में तब्दील कर दी। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल की खंडपीठ ने अपने निर्णय में कहा कि कोली की दया याचिका पर फैसले में ‘अत्यधिक देरी को देखते हुए’ उसकी मौत की सजा पर अमल ‘असंवैधानिक’ होगा।
अदालत ने गैर सरकारी संगठन ‘पीपुल्स यूनियन फार डेमोक्रेटिक राइट्स’ (पीयूडीआर) की जनहित याचिका पर यह फैसला सुनाया। इस संगठन ने दलील दी थी कि कोली की दया याचिका के निबटारे में ‘‘तीन साल और तीन महीने’’ का समय लगा और ऐसी स्थिति में उसकी मौत की सजा पर अमल संविधान के अनुच्छेद 21 में दिए गए जीवन जीने के अधिकार का उल्लंघन होगा।