रूठे दोस्तों को मनाने में लगा भारत

Edited By ,Updated: 29 Jan, 2015 10:45 AM

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भारत-अमरीका के बढ़ते आपसी रिश्तों से तिलमिलाए और खीजे चीन और रूस को भारत मनाने में जुट गया है।

वाशिंगटन: भारत-अमरीका के बढ़ते आपसी रिश्तों से तिलमिलाए और खीजे चीन और रूस को भारत मनाने में जुट गया है। इन्हीं कोशिशों के तहत भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज शनिवार को चीन यात्रा पर जा रही है। सुषमा स्वराज के बाद पीएम नरेंद्र मोदी  मई में चीन और कुछ समय बाग रूस दौरे पर जाएंगे।

इस दौरे के दौरान सुषमा दोनों देशों के विदेश मंत्रियों को साफ संदेश देंगी कि भारत-अमरीका के बीच बढ़ती नजदीकी का मकसद चीन या रूस के लिए परेशानी खड़ा करना नहीं है।

देशों को मनाने की मुहिम में सुषमा के तीन दिवसीय चीन दौरे को अहम माना जा रहा है। इस दौरान दोनों देशों के बीच न केवल द्विपक्षीय वार्ता होगी, बल्कि वह रूस-भारत-चीन के विदेश मंत्रियों की 13वीं त्रिपक्षीय बैठक में भी शिरकत करेंगी।

दरअसल, अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की यात्रा से भारत के सामने नई कूटनीतिक चुनौतियां आ खड़ी हो गई हैं।संयुक्त राष्ट्र संघ में स्थाई सदस्यता और परमाणु क्लब में शामिल कराने के ओबामा के वादों की राह में ये दोनों देश भारत के लिए बाधा खड़ी कर सकते हैं। ये दोनों संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ ही परमाणु देशों के एलीट क्लब में पहले से हैं।

वहीं सलमान हैदर, पूर्व विदेश सचिव ने बताया कि कूटनीति में एक के साथ आने और दो के नाराज होने का खतरा नहीं उठाया जा सकता। भारत को चीन और रूस दोनों को संदेश देना होगा कि उसका और अमरीका का रिश्ता इन दोनों के विरोध पर नहीं टिका है।

चूंकि आने वाले समय में भारत को संयुक्त राष्ट्र में स्थाई सदस्यता के साथ-साथ परमाणु क्लब में प्रवेश के लिए इन दोनों देशों की मदद की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में ओबामा की यात्रा के बाद भारत के लिए चीन और रूस को भी साधे रखने के मामले में कूटनीतिक परीक्षा देनी होगी।

गौरतलब है कि भारत को इस बूात की भनक पहले से ही थी कि ओबामा के भारत दौरे से रूस और चीन की नजरें टेढी होनी है। यही वजह है कि ओबामा की यात्रा से पहले ही सुषमा के चीन दौरे का कार्यक्रम तैयार कर लिया गया था।

भारत-अमरीका के प्रगाढ़ होते रिश्ते से नाखुश चीन ने एक ओर जहां इसे सतही संबंध करार दिया है, वहीं उसने संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्यता और परमाणु क्लब में भारत के प्रवेश में अड़ंगा लगाने का संदेश दिया है।

साथ ही नाखुश चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एल.ए.सी.) पर नए सिरे से विवाद खड़ा कर सकता है हालांकि  इस दोस्ती पर रूस ने कोई खुलकर टिप्पणी नहीं की है लेकिन यूक्रेन  मामले में ओबामा की ओर से मिली चेतावनी उसे भी नागवार लग सकती है।

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