Edited By ,Updated: 30 Jan, 2015 09:32 PM
दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज सरकार से कोयला खानों को तीन अलग श्रेणियों में रखे जाने की वजह पूछी है जबकि उनकी किसी भी अंतिम इस्तेमाल के लिये नीलामी की जा सकती है।
नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज सरकार से कोयला खानों को तीन अलग श्रेणियों में रखे जाने की वजह पूछी है जबकि उनकी किसी भी अंतिम इस्तेमाल के लिये नीलामी की जा सकती है। उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल जिन कोयला लॉक को निरस्त किया था उन्हें तीन श्रेणियों में रखा गया है।
पहली अनुसूची में सभी निरस्त ब्लॉकों को रखा गया है जबकि दूसरी अनुसूची में पहली अनुसूची के उन ब्लॉक को रखा गया है जो पूरी तरह से काम कर रही हैं और तीसरी अनुसूची में एेसी खानें हैं जिनमें खनन नहीं हो रहा है। लेकिन उत्पादन शुरू करने के लिये उनके पास सभी मंजूरियां उपलब्ध हैं।
न्यायमूति बदर दुरेज अहमद और न्यायमूति संजीव सचदेव ने सरकार से पूछा, ‘‘आपको दूसरी और तीसरी अनुसूची क्यों चाहिये जबकि पहली अनुसूची में शामिल किसी भी खान को चुन कर उसकी नीलामी हो सकती है।’’ न्यायालय ने यह भी कहा है कि कोयला खानों की नीलामी के संबंध में सरकार की नीति निरंतर रहने वाली होनी चाहिये। यह कहते हुये न्यायालय ने सरकार के उस फैसले के बारे में भी बताया जिसमें कुछ बिजली और इस्पात क्षेत्र के लिये 10 करोड़ टन से अधिक कोयला खानों की पहचान करने के लिये कहा गया है।