तिल द्वादशी: घर-परिवार के आनंद व सौभाग्य में बढ़ौतरी का दिन

Edited By ,Updated: 31 Jan, 2015 08:41 AM

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माघ मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी को भीष्म द्वादशी, तिल द्वादशी अथवा गोविंद द्वादशी के नाम से जाना जाता है। आज के दिन तिलों से श्री हरि की पूजा करने का विधान है।

माघ मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी को भीष्म द्वादशी, तिल द्वादशी अथवा गोविंद द्वादशी के नाम से जाना जाता है। आज के दिन तिलों से श्री हरि की पूजा करने का विधान है। पवित्र नदियों में स्नान व दान करने से अक्षय पुण्यों की प्राप्ति होती है।आज के दिन ब्राह्मण को तिलों का दान, पितृ तर्पण, हवन, यज्ञ, आदि करना चाहिए।
 
भगवान को तिल से बने पदार्थों तथा गुड़ से बने व्यंजनों का प्रसाद अर्पित करें। आज के दिन भगवान के स्वरूप को भी पीले वस्त्र पहनाएं और खुद भी पीले वस्त्र धारण करें। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी सामर्थ्य के अनुरूप गरीबों तथा ब्राह्मणों को दान अवश्य करना चाहिए। जिससे करने से बौद्धिक और आत्मिक शांति प्राप्त होती है तथा घर-परिवार के आनंद व सौभाग्य में बढ़ौतरी होती है। 
 
आज के शुभ दिन पर पितृों का तर्पण करने से उसका फल उन्हें प्राप्त होता है और उनकी प्रसन्नता हमारे लिए वरदान बनी रहकर जीवन को आसान व निष्कण्टक बनाती है। पितरों की प्रसन्नता के बाद देवी-देवताओं तक पहुंचने वाली हमारी प्रार्थनाओं और मंत्रों का असर तीव्र वेग और गति प्राप्त कर लेता है और हमारे संकल्पों को सिद्धि मिल जाती है। यही नहीं आने वाली पीढ़ियों तक पितरों के वरदान का लाभ स्वतः प्रवाहित होता रहता है।
 
आज के दिन को भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं का स्वरूप माना है। जो व्यक्ति आज के दिन श्री हरि की विशेष पूजा करता है वह जीवन के सभी बंधनों से मुक्त होकर वैकुंठ को जाता है।

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