गुरु जी को नहीं मिल रहा वेतन!

Edited By ,Updated: 01 Feb, 2015 02:24 AM

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सरकारी सहायता प्राप्त अध्यापकों की आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। इन स्कूलों के अध्यापकों को लगभग डेढ़ से 2 वर्ष बीत जाने के बाद भी मासिक वेतन नहीं मिल....

यमुनानगर : सरकारी सहायता प्राप्त अध्यापकों की आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। इन स्कूलों के अध्यापकों को लगभग डेढ़ से 2 वर्ष बीत जाने के बाद भी मासिक वेतन नहीं मिल रहा है जिसके चलते घरों में चूल्हा तक जलाना मुश्किल हो गया है। जिले के करीब 2 दर्जन स्कूलों के अध्यापकों के भविष्य पर ही नहीं बल्कि इनके परिवार के भविष्य पर भी प्रश्नचिन्ह लग गया है।

चुनाव से पूर्व वर्तमान सरकार ने अपने घोषणा पत्र में भी इन अध्यापकों को सरकारी स्कूलों में समायोजित करने की बात कही थी, लंबे समय से इन अध्यापकों को न तो सरकारी पदों पर ही सरकार द्वारा समायोजित किया जा रहा है और न ही स्कूल प्रबंध समितियां इन्हें समय पर मासिक वेतन दे रही हैं। मिली जानकारी के अनुसार कई-कई स्कूलों में तो डेढ़ से 2 साल गुजर जाने के बाद भी स्टाफ को वेतन तक नहीं मिल रहा है जिससे स्टाफ की माली हालत खराब हो रही है। बार-बार आला अधिकारियों से लेकर मंत्रियों व मुख्यमंत्री तक के चक्कर लगाने के बाद भी केवल आश्वासन ही मिल रहे हैं।

प्रतिष्ठित स्कूल के स्टाफ ने लिखा समिति को पत्र
शहर के एक प्रतिष्ठित स्कूल के स्टाफ ने अपनी प्रबंधन समिति को एक पत्र लिखकर मांग की है कि उनके लंबित मासिक वेतन को उन्हें तुरंत दिया जाए क्योंकि उनकी माली हालत दयनीय हो चुकी है और घर का गुजारा भी नहीं चल रहा है। ऐसे में न तो वे स्कूल में बच्चों को ठीक से पढ़ा सकते हैं और न ही अपने परिवार को भर पेट खाना दे सकते हैं। स्टाफ के सदस्यों की उम्र भी अधिक हो जाने के कारण अब वे इस नौकरी को छोड़ भी नहीं सकते। ऐसे में उनकी हालत पर रहम किया जाए और जल्द से जल्द उन्हें उनके रुके हुए 2 वर्षों के करीब के लम्बित वेतन को दिया जाए ताकि वे अपने बच्चों का पेट पाल सकें और स्कूल में एकाग्र चित से बच्चों को शिक्षा दे सकें। प्रबंधन समिति चाहती है कि जल्द से जल्द सरकार उन्हें टेक ओवर कर लें और फिर वे अपनी मनमर्जी से इन स्कूलों को पब्लिक स्कूलों की भांति चलाएं। निजी प्रबंधन समिति की यह भी मांग है कि उन्हें दिए जाने वाले 75 प्रतिशत सहायता राशि बढ़ाकर 95 प्रतिशत की जाए। अब न तो सरकार 95 प्रतिशत सहायता दे रही है और न ही स्कूल प्रबंधन समिति स्टाफ का वेतन दे रहा है। दोनों के झगड़े में स्टाफ के घर में चूल्हा जलना बंद हो रहा है।

अध्यापक संघ मिला विधानसभा अध्यक्ष से
सहायता प्राप्त स्कूल अध्यापक संघ के सैंकड़ों सदस्य गत दिवस एक कार्यक्रम के दौरान विधानसभा अध्यक्ष कंवर पाल से मिले। इस मौके पर उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से गुहार लगाई कि उनकी समस्याओं का निदान किया जाए। सरकार ने अपने घोषणा पत्र में भी कहा था कि सबसे पहला काम इन अध्यापकों को सरकारी पदों पर समायोजित करने का किया जाएगा लेकिन अभी तक उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ है। संघ के सदस्यों से मिलने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने भी आश्वासन दिया कि वे उनकी समस्या का समाधान करने के लिए सरकार को लिखेंगे और कोशिश करेंगे कि जल्द से जल्द उनकी समस्या का समाधान हो।

क्या कहते हैं संघ के प्रदेशाध्यक्ष
सहायता प्राप्त स्कूल अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष राजेंद्र शर्मा व सचिव राकेश कुमार ने इस संबंध में बताया कि पिछले लगभग एक डेढ़ वर्ष से प्रदेश के सभी ऐसे अध्यापकों की हालत बद से बदतर हो गई है। अध्यापक लगातार कर्ज मंद होता जा रहा है। इस संबंध में उन्होंने कई बार शिक्षा मंत्री से भी गुहार लगाई है और वे इस संबंध में मुख्यमंत्री से भी मिले और इसके बदले उन्हें केवल आश्वासन ही मिले। शर्मा का कहना था कि यदि जल्द ही उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो उनका आंदोलन तेज होगा जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।

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