मोदी सरकार की योजना महिलाओं के लिए बनी परेशानी का सबब

Edited By ,Updated: 01 Feb, 2015 12:34 PM

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केंद्र सरकार की रसोई गैस सिलेंडर की सब्सिडी सीधे बैंक खातों में जमा करने की योजना ने मध्य प्रदेश में गरीब परिवारों के मुखिया की तो मौज कर दी है, वहीं घर को चलाने की जिम्मेदारी निभाने वाली महिलाओं के सामने अपने और बच्चों का पेट भरने की समस्या खड़ी हो...

भोपाल: मोदी सरकार की रसोई गैस सिलेंडर की सब्सिडी सीधे बैंक खातों में जमा करने की योजना ने मध्य प्रदेश में गरीब परिवारों के मुखिया की तो मौज कर दी है, वहीं घर को चलाने की जिम्मेदारी निभाने वाली महिलाओं के सामने अपने और बच्चों का पेट भरने की समस्या खड़ी हो गई है। 

 
देश में रसोई गैस की कालाबाजारी रोकने के लिए केंद्र सरकार ने जहां एक ओर वर्ष में 12 सिलेंडर निर्धारित किए हैं, वहीं सब्सिडी सीधे बैंक खातों में भेजने की नीति को अमल में लाया है। मध्यमवर्गीय और गरीब परिवारों की संरचना को देखें तो आज भी अधिकांश परिवारों मेंं बैंक खाते और रसोई गैस का कनेक्शन परिवार के मुखिया अर्थात पुरुष के नाम पर हैं। 
 
राज्य में जनवरी माह से अधिकांश जिलों में गैस उपभोक्ताओं के बैंक खातों को आधार कार्ड से जोड़ दिया गया है अर्थात गैस सिलेंडर की सब्सिडी राशि सीधे बैंक खातों में जाने लगी है। बुंदेलखंड क्षेत्र के छतरपुर के किशोर सागर तालाब इलाके में रहने वाली शकुंतला के सामने बैंक खाते में सब्सिडी जाने से विषम परिस्थिति खड़ी हो गई है। 
 
शकुंतला बताती है कि उनके तीन बच्चे हैं, परिवार चलाने के लिए वह खुद काम करती हैं, पति परिवार की जिम्मेदारियों से बेखबर है। पहले गैस सिलेंडर घर पर आने पर लगभग पांच सौ रुपये ही देने पड़ते थे, लेकिन अब 840 रुपये देने पड़ रहे हैं, यह बात अलग है कि सब्सिडी की राशि बैंक खाते में आती है, मगर यह राशि उन्हें न मिलकर उनके पति के खाते में जाती है, क्योंकि बैंक खाता और कनेक्शन पति के ही नाम पर है।
 
राजधानी भोपाल के करोंंद इलाके में रहने वाली कंचन (काल्पनिक नाम) का कहना है कि उनके पति की आदतें ठीक नहीं हैं, वह जो कमाते हैं अपने ऊपर खर्च करते हैं, घर परिवार की उन्हें कोई चिंता नहीं होती, बल्कि उनके खाने तक का इंतजाम कंचन को ही करना होता है। वह केंद्र सरकार के गैस सब्सिडी की राशि बैंक खाते में जमा करने के फैसले से दुखी है। 
 
कंचन कहती है कि एक तरफ पति परिवार की कोई आर्थिक मदद नहीं करते, वहीं सब्सिडी के पांच सौ से ज्यादा रुपये उनके बैंक खाते में बेवजह आ जाते हैं, जबकि घर पर आए सिलेंडर की रकम उन्हें देनी पड़ती है। गैस की सब्सिडी ने पति की मौज मस्ती को और बढ़ा दिया है।
 
राजधानी के कई गरीब बस्तियों में रहने वाले परिवारों की महिलाएं सब्सिडी की राशि बैंक खातों में जाने से बेहद परेशान हैं। उनका साफ कहना है कि वे कुछ भी खुलकर कह नहीं सकती, गैस कनेक्शन पति के नाम है और उन्होंने अपने आधार कार्ड से बैंक खाते को जोड़ लिया है। सब्सिडी की आई राशि उनकी मौज को और बढ़ावा दे रही है। 
 
सामाजिक कार्यकर्ता उर्मिला सिंह ने आईएएनएस से कहा कि सरकार ने 15 मार्च तक आवश्यक रूप से आधार कार्ड को जोडऩे के निर्देश दिए हैं। प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खाते भी खुल रहे हैं, जिन जगहों पर गरीब परिवारों ने इसे आधार कार्ड से जोड़ लिया है, वहां सब्सिडी की राशि घर के मुखिया के खाते में जाने लगी है।
 
सब्सिडी योजना गरीब परिवार के लिए राहत लेकर तो आई है, लेकिन जिन परिवारों के मुखिया गैर जिम्मेदार हैं, वहां इसने महिलाओं की मुसीबतें ही बढ़ाई हैं।

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