Edited By ,Updated: 01 Feb, 2015 10:38 PM
वैज्ञानिकों ने एक नया मूल कण प्रस्तावित किया है जो यह खुलासा करने में मदद कर सकता है कि ब्रह्मांड के द्रव्यमान का 85 प्रतिशत होने के बावजूद आखिर ‘डार्क मैटर’ उपकरणों की पकड़ से हमेशा निकल क्यों जाता है।
लंदन: वैज्ञानिकों ने एक नया मूल कण प्रस्तावित किया है जो यह खुलासा करने में मदद कर सकता है कि ब्रह्मांड के द्रव्यमान का 85 प्रतिशत होने के बावजूद आखिर ‘डार्क मैटर’ उपकरणों की पकड़ से हमेशा निकल क्यों जाता है। तारों और आकाश-गंगाओं पर गुरूत्वाकर्षीय प्रभावों के चलते, उनके गिर्द ग्रेविटेशनल लेंसिंग (प्रकाश किरणों का मुडऩा), और कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड पर अपने प्रभाव के चलते माना जाता है कि डार्क मैटर का अस्तित्व है।
बाध्यकारी परोक्ष सबूतों और खासे प्रायोगिक प्रयासों के बावजूद अभी तक कोई डार्क मैटर का पता नहीं लगा पाया है। साउथैंपटन विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने एक नए कण का प्रस्ताव किया है जिसका द्रव्यमान किसी इलेक्ट्रान के सिर्फ 0.02 प्रतिशत है। यह कण प्रकाश के साथ अंत:क्रिया नहीं करता जो डार्क मैटर के लिए जरूरी है, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से यह सामान्य पदार्थ के साथ मजबूती से अंत:क्रिया करता है।
अनुसंधाकर्ताओं के अनुसार यह धरती के वायुमंडल को भी भेद देते हैं। इस तरह धरती पर उसका पता शायद नहीं लग सके। इस लिए मैक्रोस्कोपिक क्वांटम रिजोनेटर्स (एमएक्यूआरआे) कंसोर्टियम की अंतरिक्ष प्रयोग से अपनी तलाश से जोडऩे की अनुसंधानकर्ताओं की योजना है। अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि अंतरिक्ष में टंगे और डार्क मैटर के प्रवाह के सामने आया कोई नैनोपार्टिकल नीचे की आेर धकेला जाएगा और कण की अवस्थिति पर गहराई से निगाह रखने से डार्क मैटर कण की प्रकृति के बारे में जानकारी मिलेगी। बस शर्त है कि उसका वजूद होना चाहिए।