क्या बजरंगबली सच में वानर का रूप थे?

Edited By ,Updated: 25 Feb, 2015 08:14 AM

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सुदर्शन संहिता के शास्त्रानुसार बजरंगबली हनुमान ब्रह्मांड के उत्साह, साहस एवं विश्वास के प्रतीक हैं। गरुड़ी तन्त्र शास्त्रानुसार जब प्राणीमात्र में उत्साह, साहस एवं विश्वास जाग्रत हो जाता है, तब व्यक्ति अपनी कठिन से कठिन समस्या या संकट का समाधान...

सुदर्शन संहिता के शास्त्रानुसार बजरंगबली हनुमान ब्रह्मांड के उत्साह, साहस एवं विश्वास के प्रतीक हैं। गरुड़ी तन्त्र शास्त्रानुसार जब प्राणीमात्र में उत्साह, साहस एवं विश्वास जाग्रत हो जाता है, तब व्यक्ति अपनी कठिन से कठिन समस्या या संकट का समाधान करने में समर्थ हो जाता है। अगस्त संहिता शास्त्र में उत्साह, साहस एवं विश्वास को बजरंगबली हनुमान का नैसर्गिक गुण बताया गया है। बजरंगबली  परमेश्वर शिव के ग्यारहवें रुद्रावतार ‘दास्य भक्ति’ के मूर्तवान स्वरूप हैं। इस अवतार में वे मां अंजनि के गर्भ से वायुदेव के पुत्र के रूप में अवतरित हुए हैं। इस लेख के माध्यम से हम अपने पाठकों को इस तथ्य से अवगत करा रहे हैं कि क्या बजरंगबली बंदर थे ? 

वैज्ञानिक दृष्टिकोण: आनुवंशिक विज्ञान अनुसार "कपि प्रजाति" होमिनोइडेया नामक महापरिवार प्राणीजगत की सदस्य जीव जातियों को कहा जाता हैं। होमिनोइडेया नामक महापरिवार प्राणीजगत की दो मुख्य शाखाएं हैं। पहली "हीनकपि"  प्रजाति, यह छोटे अकार के कपि होते हैं तथा दूसरी "महाकपि" प्रजाति, यह बड़े अकार के मानवनुमा कपि होते हैं, जो चार शाखाओं में होते हैं - गोरिल्ला, चिंपांज़ी, मनुष्य तथा ओरंगउटान। वर्तमानकाल से 9 लाख वर्ष पूर्व मानवनुमा एक ऐसी प्रजाति थी, जो मुख और पूंछ से बंदर जैसी नजर आती थी, लेकिन उस जाति की बुद्धि व शक्ति मानवों से कहीं अधिक थी परंतु "कपि" प्रजाति भारत में दुर्भाग्यवश समाप्त हो गई, परंतु इंडोनेशिया देश के "बाली" नामक द्वीप में अब भी पुच्छधारी जंगली मनुष्यों का अस्तित्व विद्यमान है। इस प्रजाति की पूंछ मात्र अब 6 इंच के लगभग रह गई है।

नवीनतम वैज्ञानिक शोध के अनुसार भगवान राम का जन्म 10 जनवरी 5114 ईसा पूर्व अयोध्या में हुआ था। शास्त्रों के अनुसार भगवान राम के जन्म से पूर्व बजरंगबली हनुमान का जन्म हुआ था अर्थात फरवरी 2015 से लगभग 7129 वर्ष पूर्व। बजरंगबली हनुमान जी का जन्म कपि नामक वानर जाति में हुआ था। शोधकर्ताओं के अनुसार आज से 9 लाख वर्ष पूर्व एक ऐसी विलक्षण बंदरों की जाति भारतवर्ष में विद्यमान थी, जो वर्त्तमान समय से लगभग 15 हजार वर्ष पूर्व विलुप्त होने लगी थी और अंतत: लुप्त हो गई। इस वानर जाति का नाम "कपि" था।

चोपाई: को नहि जानत है जग में, "कपि" संकटमोचन नाम तिहारो।।

अक्सर बजरंगबली हनुमान के संबंध में भी यह प्रशन उठता है कि 'क्या बजरंगबली बंदर थे ? रामायण, रामचरितमानस आदि ग्रंथों के अनुसार बजरंगबली हनुमान का संबंध उनके सजातीय वानरों बाली व सुग्रीव के साथ जोड़ा जाता है। बजरंगबली हनुमान जी के नाम के साथ 'वानर, कपि, शाखामृग, प्लवंगम' आदि विशेषण पढ़कर उनके बंदर प्रजाति का होने का उदाहरण देते हैं। रामायणा व रामचरितमानस में बजरंगबली कि पूंछ से लंकादहन का प्रत्यक्ष चमत्कार हुआ था। मंदिरों व धार्मिक चित्रों में बजरंगबली की सपुच्छ प्रतिमाएं उनके वानर स्वरुप को सिद्ध करती हैं। वाल्मीकि रामायण में बजरंगबली को विशिष्ट पंडित, धुरंधर राजनेता और वीर-शिरोमणि कहा गया है तथा उनको लोमश ओर पुच्छधारी भी कहा गया है।

आचार्य कमल नंदलाल

ईमेल kamal.nandlal@gmail.com

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