Edited By ,Updated: 24 Feb, 2015 08:18 AM
दान हमेशा ऐसे व्यक्ति को दिया जाना चाहिए जिसे वास्तव में आवश्यकता हो। वह मांगता न हो पर उसकी आवश्यकता हमारी दृष्टि में आ जाए तो उसकी सहायता करनी चाहिए।
दान हमेशा ऐसे व्यक्ति को दिया जाना चाहिए जिसे वास्तव में आवश्यकता हो। वह मांगता न हो पर उसकी आवश्यकता हमारी दृष्टि में आ जाए तो उसकी सहायता करनी चाहिए। यह सहायता इस तरह करनी चाहिए जैसे कि उसे न लगे कि हम दान कर रहे हैं। यही सच्चा दान है। बताकर दान करने से उसका महत्व समाप्त हो जाता है।
आज समाज में जो विभिन्न समस्याएं हैं उन्हें सुलझाने के लिए दान के विभिन्न प्रकारों का रूपांतर अब आंदोलन में हो रहा है। रक्तदान, नेत्रदान, अवयवदान आदि सब दान अभयदान, स्वास्थ्यदान हैं। स्कंदपुराण में इस बारे में कहा गया है कि धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष का साधन शरीर है। किसी को स्वास्थ्य प्रदान करने का अर्थ है उसे परिपूर्ण जीवन प्रदान करना।
स्वास्थ्य का हो, आयु रक्षा का या बेहतर रोजगार का, दान करने से इन समस्याओं से निजात पाया जा सकता है।
1. नौकरी प्राप्त करने के लिए तुलसी के पौधे पर दीप दान करें।
2. विवाह के इच्छुक कन्याएं सुहाग की वस्तुओं का दान करें।
3. कोर्ट केस में जीत हासिल करने के लिए मिष्ठान का दान करें।
4. निरोगी काया पाने के लिए अन्न और जल का दान करें।
5. जो ग्रह आपके अनुकुल नहीं है केवल उसकी अनुकुलता प्राप्त करने के लिए ही दान करें। अनुकूल ग्रहों के लिए दान करना आपको कष्ट देगा।
6. निसंतान दंपत्ति संतान प्राप्ति के लिए अधिक से अधिक पौधारोपण करें और उनकी नियमित सिंचाई करें।