Edited By Niyati Bhandari,Updated: 03 Mar, 2020 07:59 AM
आज 3 मार्च से होलाष्टक का आरंभ हो रहा है। जो सोमवार, 9 मार्च को होलिका दहन तक चलेगा। इन 8 दिनों तक शुभ काम न करें। मंगलवार, 10 मार्च को होली खेली जाएगी। इन 8 दिनों में मन में उल्लास लाने और
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आज 3 मार्च से होलाष्टक का आरंभ हो रहा है। जो सोमवार, 9 मार्च को होलिका दहन तक चलेगा। इन 8 दिनों तक शुभ काम न करें। मंगलवार, 10 मार्च को होली खेली जाएगी। इन 8 दिनों में मन में उल्लास लाने और वातावरण को जीवंत बनाने के लिए लाल या गुलाबी रंग का प्रयोग विभिन्न तरीकों से किया जाता है। लाल परिधान मूड को गरमा देते हैं यानी लाल रंग मन में उत्साह उत्पन्न करता है। इसलिए उत्तर प्रदेश में आज भी होली का पर्व एक दिन नहीं अपितु 8 दिन मनाया जाता है। भगवान कृष्ण भी इन 8 दिनों में गोपियों संग होली खेलते रहे और अंतत: होली में रंगे लाल वस्त्रों को अग्नि को समर्पित कर दिया। इसलिए होली मनोभावों की अभिव्यक्ति का पर्व है जिसमें वैज्ञानिक महत्ता है, ज्योतिषीय गणना है, उल्लास है, पौराणिक इतिहास है, भारत की सुंदर संस्कृति है जब सब अपने भेदभाव मिटा कर एक हो जाते हैं।
बसंत पंचमी से ब्रज के अधिकांश मंदिरों में होली शुरू हो जाती है, जो लगभग 50 दिन तक जारी रहती है। कुछ मंदिरों में तो इस दिन से ढप बजने लगता है। ब्रज अंचल में चौरासी कोस में होली का विशेष महत्व है। बरसाना की लठमार होली, भगवान कृष्ण की जन्मभूमि वृंदावन के बांकेबिहारी, राधावल्लभ, गोवर्धन, नंदगाव और दाऊजी का हुरंगा जिसमें आप अपने आपको रंगों से भीगे हुए महसूस करेंगे, वहीं ब्रज की छवि आपके मन-मस्तिष्क को पूरे वर्ष भर तरोताजा रखेगी।
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार सरस्वती सर्वगुण संपन्न हैं इसलिए इस दिन बसंत पंचमी पर सरस्वती की पूजा तो होती ही है लेकिन इस दिन स्वयं श्यामसुंदर ने राधारानी का कहना मानकर उनके साथ फूलों की होली खेली थी। दोनों ही जंगल में जाकर पहले तरह-तरह के फूल चुन लाए फिर एक-दूसरे से होली खेली।
समय के साथ मंदिरों में फूल की होली का स्थान गुलाल की होली ने ले लिया तथा अब ब्रज के अधिकांश मंदिरों में गुलाल को प्रसाद स्वरूप भक्तों पर डाला जाता है।