अहंकार आदमी को ऊपर उठने नहीं देता

Edited By ,Updated: 27 Feb, 2015 11:27 AM

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पश्चिम का बहुत बड़ा नर्तक हुआ निजिंस्की। ऐसा नर्तक कि, कहते हैं मनुष्य जाति के इतिहास में शायद दूसरा नहीं हुआ है । उसकी कुछ....

पश्चिम का  बहुत बड़ा नर्तक हुआ निजिंस्की। ऐसा नर्तक कि, कहते हैं मनुष्य जाति के इतिहास में शायद दूसरा नहीं हुआ है । उसकी कुछ अपूर्व बातें थीं । एक अपूर्व बात तो यह थी कि जब निजिंस्की नृत्य की ठीक-ठीक दशा में आ जाता था जिसको हम नृत्य की दशा कहते हैं तब वह ऐसी छलांगें भरता था कि वैज्ञानिक चकित हो जाते थे क्योंकि गुरुत्वाकर्षण के कारण वैसी छलांगें हो ही नहीं सकतीं और साधारण अवस्था में निजिंस्की भी वैसी छलांगें नहीं भर सकता था ।

अपनी तरफ से भी उसने कोशिश करके देख ली थी, हर बार हार जाता था । जब उससे किसी ने पूछा कि इसका राज क्या है ? उसने कहा, मुझसे मत पूछो । मुझे खुद ही पता नहीं। क्योंकि मैंने भी कई बार कोशिश करके देख ली । यह तो योग का पुराना सूत्र है । यह तो तंत्र का पुराना आधार  है । निजिंस्की को कुछ पता नहीं वह क्या कह रहा है । अगर उसे पूरब के शास्त्रों का पता होता तो  वह व्याख्या कर पाता । विज्ञान कहता है न्यूटन ने खोजा वृक्ष के नीचे बैठे-बैठे ।

गिरा फल और न्यूटन को ख्याल आया, हर चीज ऊपर से नीचे की तरफ गिरती है । पत्थर भी हम ऊपर की तरफ फैंकें तो नीचे आ जाता है, तो जरूर जमीन में कोई गुरुत्वाकर्षण, कोई ग्रैविटेशन होना चाहिए । जमीन चीजों को अपनी तरफ खींचती है । न्यूटन ने एक बात देखी । हमने और भी एक बात देखी, जो न्यूटन ने नहीं देखी और ख्याल रखना, वही दिखाई पड़ता है जो हम देखने को तैयार होते हैं ।

जब अहंकार नहीं होता तो आदमी ऊपर की तरफ उठने लगता है, जैसे आकाश की कोई कशिश, कोई आकर्षण है जिसे वैज्ञानिक कहता है ग्रैविटेशन, गुरुत्वाकर्षण, ऐसे अंतरतम को मनीषियों ने कहा है प्रभु का आकर्षण । ऊध्र्व, ऊपर की ओर से उतरती कोई ऊर्जा और खींचने लगती है। इसे ग्रेस या प्रसाद कह सकते हैं ।

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