‘डंडा पीर’ है ‘‘विगड़ेयां-तिगड़ेयां दा’’

Edited By ,Updated: 28 Feb, 2015 04:11 AM

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हालांकि सस्ती व स्तरीय चिकित्सा तथा शिक्षा (जो सरकारी अस्पतालों तथा सरकारी स्कूलों में मिलती है), स्वच्छ पानी एवं लगातार बिजली आम लोगों की ये चार आधारभूत आवश्यकताएं हैं

हालांकि सस्ती व स्तरीय चिकित्सा तथा शिक्षा (जो सरकारी अस्पतालों तथा सरकारी स्कूलों में मिलती है), स्वच्छ पानी एवं लगातार बिजली आम लोगों की ये चार आधारभूत आवश्यकताएं हैं परन्तु स्वतंत्रता प्राप्ति के 67 वर्ष बाद भी देश का आम आदमी इनके लिए तरस ही रहा है।

इसी कारण हम विभिन्न मुख्यमंत्रियों को सलाह देते रहते हैं कि जब कभी वे सड़क मार्ग से यात्रा करें तो किसी एक सरकारी स्कूल या अस्पताल में चले जाएं। यदि वे किसी एक स्कूल या अस्पताल का अचानक दौरा कर लेंगे तो उस इलाके के कई सरकारी स्कूलों व अस्पतालों की हालत स्वत: सुधरने लगेगी। 
 
इस सिलसिले में हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री श्री अनिल विज अपने अधीन आते विभागों और अस्पतालों का कामकाज सुधारने के लिए लगातार छापे मार कर दोषी कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई के आदेश दे रहे हैं।
 
इसी के अंतर्गत उन्होंने 25 फरवरी को पंचकूला स्थित हरियाणा के महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं के कार्यालय में छापा मारा और 3 अधिकारियों के विरुद्ध ड्यूटी में लापरवाही बरतने के संबंध में कार्रवाई की। सबसे पहले उन्होंने एस.एम.ओ. भिवानी एन.के. गर्ग के निलंबन के आदेश जारी किए जिसके विरुद्ध एक स्वाइन फ्लू रोगी को वापस लौटा देने की शिकायत थी। 
 
इसके बाद उन्होंने दंत चिकित्सा विभाग के निदेशक प्रवीण सेठी और एक अन्य अधिकारी हरदीप सिंह के विरुद्ध कार्रवाई के आदेश जारी किए। डा. सेठी को अपने अधीनस्थ कर्मचारियों की वाॢषक गुप्त रिपोर्टें (ए.सी.आर.) सही और गोपनीय तरीके से सुरक्षित न रखने के कारण श्री विज का कोपभाजन बनना पड़ा। ये फाइलें डा. सेठी के कार्यालय में खुले में पड़ी थीं जिस पर  डा. प्रवीण सेठी से लिखित जवाबतलबी की गई है। 
 
इसी प्रकार लेखा विभाग में श्री विज ने 2006 से पैंडिंग चली आ रही अलमारियों में पड़ी फाइलें पकड़ीं। इनमें से एक फाइल यमुनानगर की स्टाफ नर्स रेणु शर्मा के विरुद्ध 2006 में दिए गए विभागीय जांच के आदेशों की थी। एक अन्य फाइल ‘एश्योर्ड करियर प्रोगै्रस’ के संबंध में थी जो 9 वर्षों से लेखा विभाग के लेखाकार के पास धूल फांक रही थी। 
 
स्वास्थ्य मंत्री ने ये सब अनियमितताएं देखते हुए हरियाणा स्वास्थ्य सेवाएं विभाग के महानिदेशक एन.के. अरोड़ा को 2004 के बाद से पैंडिग सब फाइलों का ब्यौरा देने का आदेश जारी किया। उन्होंने वहां लगाए गए वाटर कूलर का निरीक्षण भी किया और इसके साथ ही पुराने पड़ चुके अग्निशमन उपकरणों को बदलने का आदेश भी जारी किया। 
 
श्री विज द्वारा छापे मारते ही विभाग में खलबली मच गई और कर्मचारियों ने उनके जाने के बाद 25 फरवरी की रात भी वर्षों से पैंडिग पड़ी फाइलों को निपटाने और साफ-सफाई में गुजारी। अनेक विभागों के कर्मचारी 26 फरवरी को लंच के समय पैंडिग फाइलों का निपटारा करते देखे गए ताकि मंत्री को इस संबंध में रिपोर्ट भेजे जाने से पूर्व उनको निपटा दिया जाए।
 
महानिदेशक, दंत चिकित्सा, डा. प्रवीण सेठी के विभाग के कर्मचारी लंच के समय में भी काम कर रहे थे। कार्यकारी महानिदेशक बी.पी. लोचन ने कहा है कि ‘‘अब कोई भी फाइल अधिक समय तक अपने पास नहीं रखने के आदेश जारी किए गए हैं। लंबित फाइलों व अन्य दस्तावेजों की निगरानी के लिए एक ट्रैकिंग प्रणाली लागू करने का प्रस्ताव भी है।’’
 
अब तो वह वाटर कूलर भी बदल दिया गया है जिसमें श्री विज ने दूषित पानी पाया था और अग्निशमन विभाग द्वारा कालातीत हो चुके अग्निशमन उपकरण भी बदल दिए गए हैं। यही नहीं, महानिदेशालय के जो कर्मचारी तथा डाक्टर छुट्टी पर गए हुए थे वे भी अब काम पर लौट आए हैं।
 
हमें खुशी है कि जो बात हम कई वर्षों से कहते आ रहे थे, उसकी ओर  अब ध्यान देना शुरू हुआ है। कभी-कभी अब पंजाब में भी सरकारी अस्पतालों व स्कूलों में छापे मारे जा रहे हैं और अब हरियाणा में श्री अनिल विज ने यह सिलसिला शुरू कर दिया है।
 
अब इन्हें न सिर्फ जारी रखने बल्कि इनमें और तेजी लाने की आवश्यकता है। जितने अधिक छापे मारे जाएंगे, कर्मचारियों में उतनी ही चुस्ती और जिम्मेदारी की भावना आएगी। इससे आम जनता को राहत तथा सुविधा प्राप्त होगी। अन्य राज्यों में भी छापेमारी का यह सिलसिला शुरू होना चाहिए ताकि वहां के लोगों को भी राहत मिले।

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