आम बजट से रियल एस्टेट की अपेक्षाएं

Edited By ,Updated: 28 Feb, 2015 08:48 AM

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वित्त मंत्री अरुण जेतली आज वित्त वर्ष 2015-16 का बजट पेश करेंगे। यह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार का पहला पूर्ण बजट होगा। सरकार के इस बजट से आम आदमी के साथ-साथ रियल एस्टेट सैक्टर को भी अनुकूल उपायों की घोषणा की उम्मीद है।

नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेतली आज वित्त वर्ष 2015-16 का बजट पेश करेंगे। यह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार का पहला पूर्ण बजट होगा। सरकार के इस बजट से आम आदमी के साथ-साथ रियल एस्टेट सैक्टर को भी अनुकूल उपायों की घोषणा की उम्मीद है। 
 

दो बड़ी समस्याएं

रियल एस्टेट सैक्टर के सामने आज दो बड़ी समस्याएं हैं ठप्प मांग और नकदी की तंगी। आज आने वाले बजट में डिवैल्पर इसी का समाधान होते देखना चाहते हैं। वित्त मंत्री से उनकी सबसे बड़ी मांग है कि पूरे सैक्टर के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर स्टेटस जिससे डिवैल्पर को लंबे समय के लिए और सस्ता कर्ज मिल सके। इसके अलावा वक्त पर न चुका पाने की हाल में रीस्ट्रक्चरिंग विंडो का सहारा भी चाहिए। डिवैल्पर सस्ते मकान बनाने के लिए भी अलग से रियायतें चाहते हैं।
 
अफोर्डेबल हाऊसिंग को बढ़ावा देने वाली 80आई.बी. स्कीम को भी डिवैल्पर फिर से शुरू करने की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा तेज स्वीकृतियों के लिए सिंगल विंडो क्लीयरैंस और स्मार्ट सिटीज पर आगे के रोडमैप का भी बजट में इंतजार है।
 
गत बजट में वित्त मंत्री ने देश में रीट्स यानि ‘रियल एस्टेट इन्वैस्टमैंट ट्रस्ट’ का भी ऐलान किया था लेकिन उस पर लगने वाले टैक्स पर आज भी स्थिति साफ नहीं है, जानकारों का मानना है कि अब वक्त आ गया है कि वित्त मंत्री सभी आशंकाओं को दूर कर दें।
 
इन सबके अलावा रियल एस्टेट सैक्टर को उम्मीद है कि मोदी सरकार भारत में रैंटल हाऊसिंग मार्कीट की नींव रखेगी। फिलहाल किराए से करीब 2 प्रतिशत तक रिटर्न मिलता है जोकि डिवैल्पर के लिए फायदे का सौदा नहीं है। सरकार इन्सैंटिव दे तो डिवैल्पर सिर्फ किराए के लिए मकान भी बनाएंगे जिससे सभी के लिए आवास के सरकार के लक्ष्य में बड़ी मदद मिलेगी।
 

हाऊसिंग सैक्टर की उम्मीदें

उम्मीद की जा रही है कि इस बजट में ‘मेक इन इंडिया’ पर जोर देने की कोशिश होगी। हाऊसिंग एंड फाइनांस सैक्टर के लिए बजट में सरकार को क्या घोषणाएं करनी चाहिएं पर बात करने पर कुछ जानकारों का कहना था, ‘‘इस साल का बजट हाऊसिंग सैक्टर के लिए काफी अहम है। सरकार का हाऊसिंग और इंफ्रा क्षेत्र पर काफी ज्यादा ध्यान है। होम लोन के ब्याज पर मिलने वाली छूट बढ़ कर 3 लाख रुपए होनी चाहिए। इसके अलावा घर खरीदने पर लगने वाली स्टैंप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन की दर को भी कम करने की जरूरत है।’’
 
उनके अनुसार, ‘‘ग्रामीण इलाकों में सस्ते आवासों को बढ़ावा मिलना चाहिए। होम लोन पर ब्याज की छूट को भी 1.5 लाख रुपए से बढ़ा कर 2 से 2.5 लाख रुपए होना चाहिए। हाऊसिंग सैक्टर में बड़े प्रोजैक्ट्स को जल्द मंजूरी मिलनी चाहिए। लागत व्यावहारिकता लाने के लिए भी कुछ न कुछ करने की जरूरत है। बजट दरें घटाने के नजरिए से आर.बी.आई. इस बार के बजट को काफी ध्यान से देखेगा। हाऊसिंग क्षेत्र को लंबे समय से इंफ्रास्ट्रक्चर का दर्जा दिए जाने की मांग है और इसे इस बजट में पूरा किया जाना चाहिए।’’
 

क्रैडिट रिस्क गारंटी को सहारा मिले

जानकारों के अनुसार पिछले बजट में रियल एस्टेट को लेकर काफी ऐलान हुए थे लेकिन उतना काफी नहीं है क्योंकि सरकार का लक्ष्य काफी बड़ा है। 2022 तक सबको आवास देना है, इसके अलावा 100 स्मार्ट सिटीज बनानी हैं और देश में रियल एस्टेट को आगे लेकर जाना है और ये तमाम लक्ष्य कैसे पूरे होंगे इसके लिए इस बार के बजट से खासी उम्मीदें हैं। 
 
रियल एस्टेट सैक्टर के जानकारों के अनुसार, ‘‘वर्ष 2022 तक सबको घर देने की सरकार की जो योजना है उसे पूरा करने के लिए हाऊसिंग सैक्टर को ग्राहकों को सबसे पहले होम लोन ब्याज पर राहत देनी चाहिए। अगर होम लोन में सब्सिडी दी जाए तो कमजोर वर्ग के भारतवासियों को 6-7 प्रतिशत दरों पर आसानी से होम लोन सुविधा उपलब्ध कराई जा सकती है। साथ ही क्रैडिट रिस्क गारंटी फंड को सपोर्ट किया जाए तो बैंक आसानी से कमजोर वर्ग को लोन दे सकेंगे। इस तरह वर्ष 2022 तक सबको आवास देने की सरकार की योजना कुछ हद तक पूरी होने में मदद होगी। इसके अलावा डिवैल्पर और ग्राहकों के लिए कर निर्धारण को भी ताॢकक आधार पर उचित बनाना जरूरी है।    

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