एक नजर देश के उन वित्तमंत्रियों पर, जिन्होंने बदला जमाना

Edited By ,Updated: 28 Feb, 2015 09:41 AM

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वित्त मंत्री अरुण जेटली आज वित्त वर्ष 2015-16 का बजट पेश करेंगे। यह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार का पहला पूर्ण बजट होगा।

नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली आज वित्त वर्ष 2015-16 का बजट पेश करेंगे। यह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार का पहला पूर्ण बजट होगा। यह बजट आज कोई पहली बार पेश नहीं हो रहा है। देश की आजादी के बाद से ही हर साल बजट पेश किया है जिसमें पूरे देश के जाम खर्च का लेखा-जोखा होता है। आम बजट से देश में आने वाले समय की वास्तविक स्थिति क्या होगी का पता चलता है। आइए एक नजर डालते हैं देश के उन 10 शीर्ष वित्त मंत्रियों पर जिन्होंने न केवल बजट पेश किया बल्कि देश को उन्नति की राह पर अग्रसर भी किया।

1. आर के षणमुखम चेट्टी (वर्ष: 1947)
अच्छे वित्त मंत्रियों की सूची में वरिष्ठता क्रम में सबसे पहला नाम आता है देश के पहले पूर्ण वित्त मंत्री आर.के. षणमुखम चेट्टी का। चेट्टी ने देश का पहला बजट पेश किया जो पूरी तरह से कृषि पर केंद्रित रहा क्योंकि उस समय देश की 70 फीसदी अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर थी।


2.सीडी देशमुख (वर्ष:1950)
सी.डी. देशमुख 1950 से 1955 तक वित्तमंत्री रहे और वे सही मायने में देश के निर्माता साबित हुए। देशमुख ने कृषि और सुविधाओं पर भी खासा जोर दिया। देशमुख की कोशिश थी कि देश का किसान मानसून की कृपा पर निर्भर न रहे। सन् 1950 के बजट में देशमुख ने 'अधिक खाद्यान्न उत्पादन' पर जोर दिया। ताकि देश खाद्यान्नों के मामले में आत्मनिर्भर बन सके।


3.मोरारजी देसाई (वर्ष:1969)

देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मोरारजी देसाई ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया। देसाई ने वर्ष 1969 में 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया। बैंकों के राष्ट्रीयकरण ने भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। देसाई ने ही बैंकों को सुदूर क्षेत्रों में शाखाएं खोलने के लिए विवश किया, ताकि आम लोग बैंकों से जुड़ सकें। मोरारजी देसाई की कोशिशों का नतीजा था कि भारत देश की सकल बचत 1960 के दशक में जो सिर्फ 13% थी, वो 1970 के दशक में 23% तक पहुंच गई।


4.इंदिरा गांधी (वर्ष: 1971)
इंडिया गांधी ने न सिर्फ देश के प्रधानमंत्री के रूप में उभरी, बल्कि वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभालते हुए इंदिरा ने 1971 में गरीबी हटाओ का नारा दिया और जनता को अपने पक्ष में कर लिया। उन्होंने वित्त मंत्रालय को संभालते हुए 1971 के बजट भाषण में कहा कि हमारी कमजोर समझी जानी वाली बातें ही असल में हमारी ताकत हैं। उन्होंने गरीबी हटाओ कार्यक्रम के तहत गरीबों को सीधी मदद पहुंचाने के कार्यक्रम की रूपरेखा बनाई। ये इंदिरा गांधी का कमाल था कि देश में पहला बजट ऐसा पेश हुआ, जिसमें आय से अधिक व्यय दिखाया गया। इसकी वजह सरकार का भारी भरकम बजट रहा।

5.वी पी सिंह (वर्ष: 1986)
वी.पी सिंह ने खुलकर देश को उदारीकरण की ओर नहीं मोड़ा, बल्कि दिशा भर दी। वी.पी सिंह ने ही कंपनियों के लिए डी-लाइसेंसिंग प्रथा की शुरुआत की। सिंह में कर संबंधित सुझावों को प्रस्तुत किया और तमाम करों को मिलाकर पहली बार एकीकृत कर प्रणाली 'मॉडिफाइड वैल्यू एडेड(MODVAT) को लागू किया। जिसके मॉडल पर अन्य केंद्रीकृत करों की व्यवस्थाएं हुई हैं।

6.डॉ मनमोहन सिंह, (वर्ष 1991)
वित्तमंत्री के तौर पर मनमोहन सिंह का हमेशा सराहा गया और जाएगा भी क्योंकि सिंह ने 1991 से आर्थिक सुधारों की नई बहस छेड़ दी। सबसे महत्वपूर्ण पल 24 जुलाई 1991 में उस समय आया, जब मनमोहन सिंह ने आम बजट प्रस्तुत किया। जिसने भारत का इतिहास बदलकर रख दिया। मनमोहन सिंह ने सबसे बड़ा काम लाइसेंस राज व्यवस्था को हटाकर किया। मनमोहन सिंह 1991-96 तक वित्तमंत्री रहते हुए नव-उदारवाद को भारत के नजरिये से नया स्वरूप दिया। मनमोहन सिंह द्वारा सन् 1991 में प्रस्तुत बजट पहली बार मध्यम वर्ग के लोगों की चर्चा की गई। जिसने व्यापारिक कार्यकलापों द्वारा लोगों को स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने विक्टर ह्युगो की लाइन को बजट में शामिल करते हुए कहा कि ये देश की नई शुरुआत है। इसका बेहतर नतीजा आज हम देख रहे हैं।

7.पी चिदंबरम (वर्ष: 1997, 2005 और 2008)
पी चिदंबरम ने 1997 में देश का ड्रीम बजट प्रस्तुत किया। जिसमें माध्यम आर्थिक जरूरतों की पूर्ति के लिए पॉलिसी बनाई गई। चिदम्बरम ने टैक्स की दरों को 30% फीसदी तक ले गए। जो उस समय लगभग असंभव माना जाता था। चिदम्बरम की बनाई इस पॉलिसी के माध्यम से देश को अपार फायदा हुआ। उन्होंने कम आय वालों के लिए टैक्स की कम दरें और ज्यादा आय वालों के लिए ज्यादा टैक्स की बात की।

ये बातें आज भी महत्वपूर्ण हैं। लोगों की आय के हिसाब से कर लिया जाने लगा। काले धन को ध्यान में रखते हुए चिदंबरम ने ही सबसे पहले 1997 में खुद से अपनी सम्पति की घोषणा(वालान्टियरी डिस्क्लोज ऑफ़ इनकम स्कीम-वीडीआईएस) की पहल की। सन् 2005 में चिदंबरम ने ही ग्रामीणों को रोजगार मुहैया कराने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना की शुरुआत की। जो ऐतिहासिक रही। इसी साल चिदंबरम ने 'भारत निर्माण' कार्यक्रम की घोषणा की, जो पूरी तरह ग्रामीण विकास पर केंद्रित रही।

सन् 2005 में ही चिदंबरम ने वैल्यू ऐडेड टेक(वैट) की शुरुआत की। जो अब तक का सबसे बेहतर कर सुधार व्यवस्था साबित हुई। कर चिदंबरम ने 2008 में वित्त मंत्री रहते हुए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने पहली बार टैक्स छूट की सीमा को 40,000 से बढ़ाते हुए 1 लाख 50 हजार कर दी। इसी साल उन्होंने ऋण चुकाने के लिए 60,000 करोड़ की व्यवस्था की बात अपने बजट भाषण में कही।

8. प्रणब मुखर्जी (वर्ष: 2012)

मौजूदा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी 7 बार बतौर वित्त मंत्री बजट पेश करने का सौभाज्ञ प्राप्त कर चुके हैं। मुखर्जी इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्रित्व में1982 में वित्त मंत्री रहे थे। तब मनमोहन सिंह रिजर्व बैंक के गवर्नर थे, बाद में मनमोहन सिंह के पीएम रहते हुए प्रणब मुखर्जी उनकी मंत्रि परिषद् में वित्तमंत्री बनें। इस बीच उन्होंने सन् 2012 में विदेशी कंपनियों से संबंधित नए कानून लागू किए। जिसकी वजह से वोडाफोन के साथ 11,200 करोड़ का टैक्स विवाद हुआ।

दरअसल प्रणब मुखर्जी ने 'रेस्ट्रोस्पेक्टिव टैक्स' नाम से नए कानून को थोपते हुए विदेशी कंपनियों की भारत में इंट्री को थोड़ा कठिन बना दिया। जिसके तहत विदेशी कंपनी को भारतीय कम्पनी का शेयर हस्तांतरण करते समय टैक्स चुकाना पड़ता। वोडाफोन इसी टैक्स की मार के नीचे दबा वोडाफोन में तर्क दिया कि हरिसन (हच) कम्पनी के शेयर के लिए वो विदेश में पैसा चुका चुकी है, लेकिन उससे इसी कानून के तहत 11,200 करोड़ के टैक्स की मांग की गई। ये मामला काफी विवादित रहा।

प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल इसलिए भी महत्वपूर्ण रहा कि उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को उस समय भी कमजोर नहीं पड़ने दिया, जब दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं लगातार गिर रही थी। उन्होंने किसी भी कंपनी को दिवालिया घोषित नहीं होने दिया।


9. यशवंत सिन्हा (वर्ष: 2001)
यशवंत सिन्हा ने वित्त मंत्री रहते हुए 7 बार बजट पेश किया। उन्होंने भी आर्थिक सुधारों को बढ़ावा दिया। सबसे महत्वपूर्ण काम उन्होंने बजट को प्रतीतात्मक औपनिवेशिक शासन की याद दिलाने वाली बजट दिवस में सुधार का किया। अबतक बजट शाम के समय प्रस्तुत होता था, जब इंग्लैंड में दिन हो लेकिन यशवंत सिन्हा ने भारत देश की संप्रभुता की याद दिलाते हुए सुबह बजट प्रस्तुत किया। जिसके बाद से बजट सुबह 10-11 बजे के बीच प्रस्तुत किया जाने लगा।

10. वाईबी चव्हाण
वाई बी चव्हाण ने वित्त मंत्री रहते हुए 1971 से 1975 तक इंदिरा गांधी के विजन को संभाला। उन्हीं के समय में भारत-पाक युद्ध हुआ। इतने गंभीर समय में भी चव्हाण ने इंदिरा के साथ मिलकर देश की विकास दर को तेज रखा। अपनी कार्यकुशलता के दम पर उन्होंने कम विदेशी सहयोग के बावजूद अर्थव्यवस्था को संभाले रखा।

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