बल , बुद्धि और विद्या की प्राप्ति के लिए करें सूर्य मंत्र का जाप

Edited By ,Updated: 01 Mar, 2015 09:43 AM

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सूर्य का शब्दार्थ है सर्व प्रेरक । सूर्य ही संपूर्ण जगत की अंतरात्मा हैं । शास्त्रों में सूर्य को संसार की रूह कहा गया है । समस्त संसार को सूर्य ....

सूर्य का शब्दार्थ है सर्व प्रेरक ।  सूर्य ही संपूर्ण जगत की अंतरात्मा हैं । शास्त्रों में सूर्य को संसार की रूह कहा गया है । समस्त संसार को सूर्य नारायण ही रोशन करते हैं । सूर्य के प्रकाश से ही जीवन को गति प्राप्त होती है । सूर्य ब्रह्मण्ड की क्रेन्द्र शक्ति है और सम्पूर्ण जगत का गतिदाता है । नवग्रहों में सर्वप्रथम सूर्य को ही महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है , सूर्य की किरणें सभी रोगों को नष्ट करने वाली, बल तथा उत्साह को बढ़ाने वाली हैं । सूर्य उपासना के लिए रविवार का दिन सबसे उत्तम माना गया है ।

यह ध्यान रहे कि सूर्य भगवान की आराधना का सर्वोत्तम समय सुबह सूर्योदय का ही होता है। सुबह स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल चढ़ाने से , सूर्य नमस्कार करने से और साथ इस मंत्र का जाप करने से बल ,बुद्धि और विद्या की प्राप्ति होती है ।

‘उदसौ सूर्यो अगादुदिदं मामकं वच:।
यथाहं शत्रुहोऽसान्यसपत्न: सपत्नहा।।
सपत्नक्षयणो वृषाभिराष्ट्रो विष सहि:।
यथाहभेषां वीराणां विराजानि जनस्य च।।’

 

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