शाह अरब ने जनता को बांटे अरबों डॉलर के ‘गफ्फे’

Edited By ,Updated: 02 Mar, 2015 01:24 AM

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यूरोपीय नेता अभी भी मंदी से निपटने के लिए जूझ रहे हैं। अमरीकी कांग्रेस बजट को लेकर एक नई लड़ाई के लिए कमर कस रही है लेकिन सऊदी अरब के बादशाह को ऐसी कोई चिंता नहीं सता रही है।

(बेन हब्बार्ड) यूरोपीय नेता अभी भी मंदी से निपटने के लिए जूझ रहे हैं। अमरीकी कांग्रेस बजट को लेकर एक नई लड़ाई के लिए कमर कस रही है लेकिन सऊदी अरब के बादशाह को ऐसी कोई चिंता नहीं सता रही है। उन्होंने शाही आदेश द्वारा आम सऊदी नागरिकों को अरबों डालर के गफ्फे बांटे हैं।

ऐसे में यदि सऊदी अरब के लोग अपने नए सुल्तान सलमान से प्रसन्न हैं तो इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं। निवेश कम्पनी ऐशमोर ग्रुप के रियाद आधारित मध्य-पूर्व के लिए निदेशक जॉन स्फाकियानाकीस का आकलन है कि ताजपोशी के बाद अरब के सुल्तान द्वारा 32 अरब डालर से भी अधिक के गफ्फे बांटे गए हैं और ‘‘इस समय सऊदी अरब में जश्न का वातावरण है।’’

यह राशि कितनी भारी-भरकम है इसका अंदाजा इसी बात से हो जाता है कि अफ्रीका की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश नाइजीरिया के वार्षिक बजट से भी यह अधिक है। दौलत में खेल रही इस अरब राजाशाही के सिंहासन पर गत माह आसीन होने  के दिन से ही शाह सलमान ने बहुत तेजी से अपनी स्थिति मजबूत की है। उन्होंने कई सरकारी निकाय भंग कर दिए हैं तथा कई मंत्रियों को पदमुक्त कर दिया है। फिर भी उनके किसी भी कदम की इतनी चर्चा नहीं हुई जितनी सऊदी जनता के बहुत बड़े हिस्से को दी गई भारी-भरकम रियायतों की हुई है।

इन रियायतों में प्रोफैशनल संघों, साहित्यिक व खेल क्लबों तथा जल व विद्युत क्षेत्र में किए गए निवेश हेतु अनुदानों के अलावा सभी सरकारी कर्मचारियों, सैनिकों, पैंशनधारकों व देश-विदेश में सरकारी छात्रवृत्ति पर पढ़ रहे विद्यार्थियों को 2 माह के वेतन के बराबर बोनस भी आबंटित किया गया है। सरकार द्वारा घोषित कुछ रियायतें कई वर्षों के दौरान मिलेंगी लेकिन इनका अधिकतर हिस्सा इसी माह सऊदी अरब के बाजारों में पहुंच जाएगा। बोनस भी इसी माह मिल जाएंगे। सऊदी अरब की 55 लाख कामकाजी आबादी में से 30 लाख सरकारी कर्मचारी ही हैं।

इसलिए फिलहाल सऊदी अरब में मानवाधिकारों के हनन या राजनीतिक सुधारों की चर्चा बहुत ही कम हो रही है। शाह से गफ्फे हासिल  होते ही सऊदी अरब के कुछ लोगों ने नए सैलफोन व हैंडबैग खरीद लिए हैं और विदेशों की यात्रा पर निकल गए हैं। उन्होंने अपने ऋण भी अदा कर दिए हैं और परोपकारी संस्थाओं को दान देने के अलावा अपनी माताओं के लिए सोने की चेनियां खरीदी हैं। कुछ व्यक्तियों ने पहली, दूसरी या तीसरी पत्नी से शादी करने के लिए अलग से पैसा सम्भाल कर रख लिया है। एक व्यक्ति तो खुशी में इतना आपे से बाहर हो गया कि उसने अपने अबोध बच्चे पर नोटों की बारिश कर दी। सऊदी अरब के शासक विश्व के सबसे बड़े तेल निर्यातक होने की बदौलत अर्जित की दौलत को लम्बे समय से अपने लोगों के लाभार्थ खुले मन से प्रयुक्त करते आ रहे हैं।

शोध विश्लेषक के रूप में कार्यरत राकन अल-शेख की फर्म जाड़वा इन्वैस्टमैंट का आकलन है कि 2015 में सऊदी सरकार को रिकार्ड 44.5 अरब डालर का घाटा पड़ेगा। ताजा शाह-खर्चियों से यह घाटा बढ़कर 67.2 अरब डालर यानी कि सऊदी अरब के सकल घरेलू उत्पाद के 9 प्रतिशत के बराबर हो सकता है। फिर भी सऊदी सरकार को वर्तमान में किसी प्रकार की कोई तात्कालिक वित्तीय समस्या परेशान नहीं कर सकती क्योंकि विदेशी बैंकों में इसका 700 अरब डालर से भी अधिक पैसा जमा है।

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