दिल्ली गैंगरेप के बलात्कारी मुकेश ने कहा, ...तो बच जाती 'निर्भया'

Edited By ,Updated: 02 Mar, 2015 05:06 PM

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16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में हुए 'निर्भया कांड' के एक बलात्कारी को अब भी अपने किए पर कोई शर्म नहीं है। रेपिस्ट मुकेश सिंह ने इस गैंगरेप के लिए लड़की को ही जिम्मेदार ठहराया। एक न्यूज चैनल से मुकेश ने कहा कि बलात्कार के लिए लड़के से ज्यादा लड़की...

नई दिल्ली: 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में हुए 'निर्भया कांड' के एक बलात्कारी को अब भी अपने किए पर कोई शर्म नहीं है। रेपिस्ट मुकेश सिंह ने इस गैंगरेप के लिए लड़की को ही जिम्मेदार ठहराया। एक न्यूज चैनल से मुकेश ने कहा कि बलात्कार के लिए लड़के से ज्यादा लड़की जिम्मेदार होती है।

मुकेश ने कहा कि अगर लड़की और उसके दोस्त ने इतना विरोध न किया होता, तो वे उन्हें इतनी बुरी तरह से न मारते। लड़की की मौत को एक दुर्घटना बताते हुए मुकेश ने कहा कि रेप के वक्त उसे विरोध नहीं करना चाहिए था। उसे चुप रहना चाहिए था और बलात्कार होने देना चाहिए था, तब रेप के बाद उसे छोड़ दिया जाता और केवल लड़के को मारा जाता।

मुकेश ने कहा किएक अच्छी लड़की 9 बजे रात को बाहर नहीं घूमती। रेप के लिए एक लड़के से ज्यादा जिम्मेदार एक लड़की है। लड़के और लड़कियां बराबर नहीं होते। घर संभालना और घर के काम लड़कियों के लिए हैं, न कि गलत कपड़े पहनकर रात में डिस्को और बार में जाकर गलत काम करना। करीब 20 फीसदी लड़कियां अच्छी होती हैं।

फांसी की सजा पाए मुकेश सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की हुई है। मुकेश का मानना है कि अगर उसे और दूसरे दोषियों को फांसी दी जाती है, तो इससे भविष्य में रेप की शिकार लड़कियों के लिए खतरा बढ़ जाएगा। मुकेश ने कहा, 'फांसी से लड़कियों के लिए खतरा बढ़ जाएगा। अभी उनका रेप करने के बाद कहा जाता है कि इसे जाने दो, ये किसी से कुछ नहीं कहेगी। बाद में जब उनका रेप होगा, तो रेप करने वाले, खास तौर पर अपराधी लोग, लड़की को मार डालेंगे।' 

उल्लेखनीय है कि 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में चलती बस में हुए गैंग रेप ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। चलती बस में एक लड़की के साथ गैंग रेप किया गया था। लड़की को बेहद गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालत और बिगडऩे पर लड़की को सिंगापुर के अस्पताल में ले जाया गया, जहां 29 दिसंबर को लड़की की मौत हो गई थी।

इस मामले में 6 लोगों को पकड़ा गया है जिसमें से एक मुख्य आरोपी ने जेल में ही आत्महत्या कर ली थी और एक आरोपी को नाबालिग होने के चलते 3 साल की सजा हुई। 4 को निचली अदालत ने फांसी की सजा दी, जिसे बाद में दिल्ली हाई कोर्ट ने बरकरार रखा है। 

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