दिल्ली से दूर हूं इसलिए केजरीवाल की तरह प्रसिद्ध नहीं हो सका : बच्चू

Edited By ,Updated: 03 Mar, 2015 03:47 AM

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सरकारी अधिकारियों को लोगों के काम करने के लिए मजबूर करने हेतु बच्चू काडू अजब-गजब तरीके अपनाते रहे हैं। कभी सरकारी कार्यालयों में सांप छोड़ देना तो कभी ‘शोले’ फिल्म के स्टाइल में टंकी पर चढ़ जाना।

सरकारी अधिकारियों को लोगों के काम करने के लिए मजबूर करने हेतु बच्चू काडू अजब-गजब तरीके अपनाते रहे हैं। कभी सरकारी कार्यालयों में सांप छोड़ देना तो कभी ‘शोले’ फिल्म के स्टाइल में टंकी पर चढ़ जाना। महाराष्ट्र के अमरावती जिले के अचलपुर क्षेत्र से निर्दलीय विधायक 44 वर्षीय बच्चू काडू अपंग लोगों के लिए समान अधिकारों के पक्षधर हैं। 20 फरवरी को उन्होंने अमरावती के सेंट जार्ज अस्पताल में एक खूनदान शिविर का आयोजन किया जिसमें 600 से भी अधिक विकलांग लोग पहुंचे हुए थे। यहां बच्चू ने जीवन में 83वीं बार खूनदान किया।

जब अस्पताल की गाड़ी उन्हें घर छोडऩे जा रही थी तो पत्रकारों ने उनसे पूछा कि विधायकों का काम तो कानून बनाना होता है लेकिन वह अक्सर कानून अपने हाथों में क्यों लेते हैं? इसके उत्तर में बच्चू ने कहा कि जब सरकारी अधिकारी आम आदमी को तंग करते हैं तो वह मौन कैसे रह सकते हैं? ऐसे अधिकारियों को सबक सिखाने के लिए कानून तोडऩा जरूरी हो जाता है। ऐसा करने से लोगों का ध्यान इस मुद्दे की ओर आकॢषत होता है और अधिकारियों को काम करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

जब उनसे पूछा गया कि क्या वह अचलपुर क्षेत्र के ‘केजरीवाल’ बनना चाहते हैं तो उन्होंंने खुद को ‘केजरीवाल का बाप’ करार देते हुए उत्तर दिया, ‘मैं गत 2 वर्षों से विकलांग लोगों के खूनदान शिविर आयोजित कर रहा हूं। मैं सड़कों पर रोड शो करके लोगों का समय बर्बाद नहीं करना चाहता। क्योंकि दिल्ली में फटाफट छोटी-मोटी बात भी सुर्खियों में आ जाती है, लेकिन मैं दिल्ली से दूर हूं इसलिए केजरीवाल की तरह प्रसिद्ध नहीं हो सका।’

अनिल कपूर की फिल्म ‘नायक’  को अपना प्रे्ररणास्रोत बताते हुए उन्होंने कहा : ‘‘मेरा सिद्धांत है कि पहले गांधीगिरी करो, गांधीगिरी नहीं चलती तो भगत सिंह बनो।’’ जब उनकी शादी हुई तो दोनों पति-पत्नी ने एक-दूसरे को राष्ट्रध्वज पेश किया। उनका मानना है कि शादी के मौके पर मेहमानों को भोजन खिलाना अन्न की बर्बादी के सिवा कुछ नहीं, इसीलिए उन्होंने शादी की दावत की बजाए जरूरतमंद लोगों के लिए ट्राईसाइकिल वितरण के कार्यक्रम का आयोजन किया था।

आजकल बच्चू विकलांग लोगों के अधिकारों के लिए सरकार के विरुद्ध आंदोलन चला रहे हैं। उनकी मांग है कि स्थानीय निकायों में 3 प्रतिशत फंड विकलांगों के लिए खर्च किया जाना चाहिए। उनके लिए आरक्षित पद तेजी से भरे जाने चाहिएं और विकलांग पैंशन व आवासीय योजनाओं का लाभ भी तत्परता से मिलना चाहिए। वह विकलांग लोगों के लिए एक अलग कमिश्ररेट की मांग कर रहे हैं।

महाराष्ट्र के सामाजिक न्याय मंत्री ने उन्हें विश्वास दिलाया है कि उनकी मांगें 3 माह में पूरी कर दी जाएंगी। बच्चू काडू ने कहा कि यदि सरकार ने अपना यह वचन पूरा कर दिया तो वह मुख्यमंत्री के वजन के बराबर खून संग्रह करेंगे और साथ ही मंत्रीजनों को लड्डू बांटेंगे और यदि सरकार ने वायदा न पूरा किया तो मंत्रियों की कोठियों के सामने खूनदान शिविर आयोजित किए जाएंगे।

‘प्रहार’ नामक संगठन का संचालन करने वाले बच्चू काडू ने बताया कि उनका संगठन अब तक 20 हजार से अधिक लोगों को डाक्टरी इलाज तथा 25 हजार लोगों को जाति प्रमाण पत्र उपलब्ध करवा चुका हैं। उनका कहना है कि वह जनता के काम करवाने के मामले में किसी भी पार्टी के विधायक से पीछे नहीं हैं, इसलिए उन्हें भाजपा या  शिवसेना में शामिल होने की जरूरत नहीं। वह किसी भी पार्टी में शामिल होकर अपनी स्वतंत्रता गिरवी नहीं रखना चाहते। (डी.)

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