भारत के मंदिरों में मिलता है ऐसा प्रसाद जानकर हैरान रह जाएंगे आप

Edited By ,Updated: 05 Mar, 2015 10:27 AM

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भगवान को प्रसाद चढ़ाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। प्रत्येक भक्त अपने इष्ट या प्रिय देवी देवता को प्रसन्न करने के लिए, प्रेम भाव से या

भगवान को प्रसाद चढ़ाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। प्रत्येक भक्त अपने इष्ट या प्रिय देवी देवता को प्रसन्न करने के लिए, प्रेम भाव से या उनके प्रति कृतज्ञता प्रगट करने के लिए उन्हें प्रसाद अर्पित करते हैं उसके बाद स्वयं उसे ग्रहण करते हैं क्योंकि उसमें भगवान का अशीर्वाद और उनकी कृपा समाहित हो जाते हैं। हिंदू धर्म में जब भी कोई श्रद्धालु मंदिर जाता है तो भगवान के लिए भेंट स्वरूप प्रसाद लेकर जाता है। 

क्या आप जानते हैं भारत में कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जहां पर अन्य मंदिरों से अलग अजब गजब प्रसाद की प्राप्ति होती है। कुछ प्रसाद तो बहुत वचित्र होते हैं जिनके बारे में जानकर हैरान रह जाएंगे आप
 
थ्रिसुर, महादेव मंदिर- प्रसाद यानि कुछ भी खाने की सामग्री लेकिन केरल के थ्रिसुर में स्थित महादेव मंदिर में प्रसाद के रूप में भक्तों को खाने की सामग्री की बजाय ब्रोशर्स, सीडी-डीवीडी और टेक्स्ट बुक्स वितरित किए जाते हैं। मंदिर ट्रस्ट की मान्यता है कि ज्ञान के प्रचार एवं प्रसार से बढ़कर अन्य कोई प्रसाद हो ही नहीं सकता।
 
सीतापुर, खबीस बाबा मंदिर- उत्तरप्रदेश के सीतापुर में स्थित खबीस बाबा मंदिर में शराब का प्रसाद अर्पित किया जाता है और प्रसाद के रूप में वही शराब भक्तों में वितरित कर दी जाती है।
 
बीकानेर, करनी माता मंदिर- इस मंदिर में कोई भी चढ़ावा चढता है तो भगवान के बाद सर्वप्रथम चूहों को खिलाया जाता है तत्पश्चात चूहों का जूठा प्रसाद भक्तों को दिया जाता है।
 
पुरी, जगन्नाथ मंदिर- जगन्नाथ मंदिर से आरंभ होने वाली रथयात्रा विश्व भर में लोगों की आस्था का केंद्र है। इस मंदिर में भगवान को प्रसाद के रूप में 56 व्यंजनों का भोग लगाया जाता है तत्पश्चात जिन भक्तों ने इस प्रसाद को ग्रहण करना हो वह आनंद बजार के स्टॉल्स से इसे खरीद लेते हैं।

गुवाहाटी, कामाख्या देवी मंदिर- प्रत्येक वर्ष गुवाहाटी के कामाख्या देवी मंदिर में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। मेले के दौरान 3 दिन के लिए मां के दर्शन आम भक्तों के लिए बंद कर दिए जाते हैं और चौथे दिन जब मंदिर के द्वार खुलते हैं तो बहुत बड़ी संख्या में भक्तों का तांता मां के दर्शनों के लिए लग जाता है। प्रसाद के रूप में प्रत्येक भक्त को एक गीला कपड़ा प्राप्त होता है। कहा जाता है की ये कपड़ा मां के रज यानि (मेंसट्रूएल फ्लियूड) से भीगा होता है।
 
अलेप्पी, बालसुब्रमणिया मंदिर- केरल के अलेप्पी में बना थेक्कन पलानी बालसुब्रमणिया मंदिर के इष्ट देव हैं। बालामुरुगन भगवान को चॉकलेट बहुत प्रिय है इसलिए यहां भगवान को प्रसाद के रूप में चॉकलेट ही अर्पित की जाती है और  चॉकलेट का ही प्रसाद प्राप्त किया जाता है।
 
कोलकाता, चाइनीज काली मंदिर- कोलकाता के टांगरा में बनें चाइनीज काली मंदिर में नूडल्स का प्रसाद मिलता है।
 
 मदुरै, अलागार मंदिर- कहा जाता है जैसा देश वैसा भेस तमिलनाडू के मदुरै में बने भगवान विष्णु के अलागार मंदिर में प्रसाद के रूप में डोसा मिलता है।
 
पलानी, धनदायुथपानी स्वामी मंदिर- तमिलनाडू के पलानी में अवस्थित भगवान मुरुगन के मंदिर में प्रसाद के रूप में पांच फल, गुड़ और शुगर कैंडी को मिलाकर "जैम" जैसी खाद्य सामग्री प्रसाद के रूप में दी जाती है। 
 
अमाब्लापुझा, श्री कृष्ण मंदिर- केरल के थिरुवंथपुरुम के समीप ही बने अमाब्लपुझा में भगवान कृष्ण के मंदिर में प्रसाद के तौर पर दूध, चीनी और चावल से निर्मित  पायसम मिलता है।
 
 

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