Edited By ,Updated: 03 Mar, 2015 09:23 AM
तकरीबन 1.5 लाख कन्ज़यूमर्स ने अपनी मर्जी से एलपीजी पर सब्सिडी लेना बंद कर दिया है। इससे साफ है कि सरकार की उस कोशिश को बढ़ावा मिल रहा है
नई दिल्लीः तकरीबन 1.5 लाख कन्ज़यूमर्स ने अपनी मर्जी से एलपीजी पर सब्सिडी लेना बंद कर दिया है। इससे साफ है कि सरकार की उस कोशिश को बढ़ावा मिल रहा है, जिसके तहत सब्सिडी सीधे कन्ज़यूमर्स के बैंक खाते में दी जा रही है और अमीर ग्राहकों को सब्सिडी क्लेम सरेंडर करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
जिन कन्ज़यूमर्स ने एलपीजी सब्सिडी लेने से मना किया है, उनमें एक तिहाई यानी 45,184 कस्टमर्स उत्तर प्रदेश से हैं। ऑइल मिनिस्टर धर्मेंद्र प्रधान की तरफ से सोमवार को संसद में बताए गए आंकड़ों के मुताबिक, 23 फरवरी 2015 तक दिल्ली के कुल 23,542 कस्टमर्स ने गैस सब्सिडी लेने से मना कर दिया है और इस लिहाज से यह दूसरे नंबर पर है। फरवरी में 14.2 किलोग्राम के एलपीजी सिलैंडर के लिए सब्सिडी की राशि 187.18 रुपए प्रति किलो रही। आपको बता दें कि सब्सिडी की रकम महीने और शहरों के हिसाब से अलग-अलग होती है।
रसोई गैस की सब्सिडी का मसला लोअर और मिडिल क्लास के लोगों के लिए बेहद अहम रहा है। इस वजह से पिछली कई सरकारों को सब्सिडी सिस्टम में रिफॉर्म के वादे से कदम हटाने को मजबूर होना पड़ा है। नरेंद्र मोदी सरकार ने करेंट फिस्कल ईयर में सब्सिडी बिल को जीडीपी के 2 फीसदी के भीतर रखने का फैसला किया है और 2016-17 में इसे घटाकर 1.6 फीसदी करने का इरादा जताया है। सरकार की डायरेक्ट ट्रांसफर स्कीम का इरादा 15 लाख एलपीजी कस्टमर्स को फायदा पहुंचाना है।
इस साल के शुरू में डायरेक्ट कैश ट्रांसफर स्कीम को पेश किया गया था। यह दुनिया का सबसे बड़ा डायरेक्ट कैश ट्रांसफर प्लान है। इसके तहत कन्ज़यूमर्स को मार्च तक अपने बैंक अकाउंट को एलपीजी कन्ज़यूमर नंबर से जोड़ना है। मार्च तक कन्ज़यूमर्स को सब्सिडी वाले सिलेंडर मिलते रहेंगे, लेकिन अगर इसके बाद खाते लिंक नहीं हुए तो अप्रैल से जून तक ऐसे ग्राहकों को मार्केट रेट पर सिलेंडर पर मिलेंगे और इनकी सब्सिडी ऑइल मार्केटिंग कंपनियों के पास जमा होगी। कन्ज़यूमर्स अगर जून तक अकाउंट लिंक करने का काम करवा लेते हैं तो उन्हें पहले की बकाया सब्सिडी भी मिल जाएगी। जून के बाद यह मुमकिन नहीं होगा।