Edited By Niyati Bhandari,Updated: 29 Mar, 2020 02:02 PM
आचार्य चाणक्य द्वारा रचित ग्रंथ चाणक्य नीति का पालन करने से जीवन में सफलताएं अवश्य प्राप्त होती हैं। कोई भी पुरूष अपने जीवन मे किन-किन कारणों से दुखी है तथा
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आचार्य चाणक्य द्वारा रचित ग्रंथ चाणक्य नीति का पालन करने से जीवन में सफलताएं अवश्य प्राप्त होती हैं। कोई भी पुरूष अपने जीवन मे किन-किन कारणों से दुखी है तथा उसके लिए प्राप्त क्या करना है और किस कारण को प्राप्त करने के बाद उसे शांति मिलेगी,जीवन का भटकाव समझने के लिए तथा भटकने का कारण समझने के लिए सुख की तलाश कर रहे दुखी पुरूष भी पा सकते हैं शांति
संतोषस्त्रिषु कर्तव्य: स्वदारे भोजने धने।
त्रिषु चैव न कर्तव्योऽध्ययने जपदानयो:।।
भावार्थ: अपनी स्त्री, भोजन और धन इन तीनों में संतोष करना चाहिए और विद्या पढऩे, जप करने और दान देने, इन तीनों में संतोष नहीं करना चाहिए।। 18।।
भाव यह है कि दान, ईश्वर ध्यान और स्वाध्याय, इनमें कभी भी कंजूसी नहीं करनी चाहिए। जी भर कर दान देना चाहिए और पूर्ण मनोयोग से ईश्वर की आराधना और शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए।
आचार्य चाणक्य कहते हैं की स्त्री, भोजन और धन जैसा भी हमारे पास हो उसमें सदैव संतोष करना चाहिए। दूसरे की स्त्री पर अपनी नजर रखना, अपनी पत्नी होते हुए किसी अन्य स्त्री के साथ अपनी गृहस्थी बसाने के लिए लालियत रहना पुरूष के जीवन में भटकाव लाता है।
किसी भी पुरूष का शरीर देखकर मालुम हो जाता है कि वह कैसा भोजन करता है। भोजन के लिए तभी अच्छे पदार्थों का चयन करें जब उन्हें पचाने की शक्ति आप में हो। स्वाद से अधिक पौष्टिकता को महत्व दें।
पुरूष द्वारा कमाए गए धन का उपभोग एवं व्यय करना ही धन की हिफाजत करना है। धन का प्रयोग अच्छे कामों में करना चाहिए और उतना ही धन अपने पास रखें जितनी अवश्यकता हो।