साल में 700 से ज्यादा मासूम बनी हवस का शिकार, सरकार बेखबर

Edited By ,Updated: 05 Mar, 2015 08:39 AM

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महिला उत्पीडऩ तथा महिलाओं से संबंधित अपराध जिस तरह से बढ़ते जा रहे हैं। उसके चलते आज आम महिला का घर से बाहर निकलना मुश्किल होता जा रहा है।

करनाल : महिला उत्पीडऩ तथा महिलाओं से संबंधित अपराध जिस तरह से बढ़ते जा रहे हैं। उसके चलते आज आम महिला का घर से बाहर निकलना मुश्किल होता जा रहा है। प्रदेश की बात की जाए तो महिलाओं के बलात्कार और छेड़छाड़ से संबंधित मामले लगातार लंबे चलते जाते हैं। एक औसत अनुमान के अनुसार चार्जशीट पेश करने से लेकर अपराधी को अंजाम तक पहुंचाने में 2 से 3 साल लग जाते हैं। यदि क्राइम रिकार्ड अनुसंधान ब्यूरो के आंकड़ों की बात करें तो हर साल 700 से ज्यादा ओसतन बलात्कार होते हैं।

जिनमें से केवल 300 लोगों को ही सजा मिल पाती है बाकी या तो गवाह मुकरने पर बच जाते हैं या फिर उनके खिलाफ सबूत नहीं मिलते। करनाल की बात करें तो यहां पर गैंगरेप की घटनाएं दर्जन से अधिक हुईं लेकिन उनकी आवाज करनाल में ही दबकर रह गई। यदि कुरुक्षेत्र में पिछले साल में एक लड़की को अगवा कर उसके साथ बलात्कार की घटना हुई लेकिन यह मामला दबकर रह गया। करनाल में निसिंग में एक पुलिस एस.एच.ओ. पर भी एक युवती के साथ बलात्कार का प्रकरण सामने आया था। हालांकि उस मामले में एक से डेढ़ साल के बीच आरोपी को सजा हो गई। सोनीपत में डेढ़ साल की अबोध के साथ बलात्कार हुआ। करनाल में हर माह दर्जन से अधिक इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं। एस.पी. अभिषेक गर्ग बताते हैं कि पुलिस का यह प्रयास रहता है कि इस तरह के आरोपियों को कड़ी सजा मिले।

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