Edited By ,Updated: 05 Mar, 2015 08:32 AM
होली और पूर्णिमा की रात को गजब का संयोग बनता है। इस दिन किए गए पूजा पाठ से अक्षय पुण्यों की प्राप्ति होती है। दिवाली की भांति होली पर भी रात्रि को लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है।
होली और पूर्णिमा की रात को गजब का संयोग बनता है। इस दिन किए गए पूजा पाठ से अक्षय पुण्यों की प्राप्ति होती है। दिवाली की भांति होली पर भी रात्रि को लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है।
लक्ष्मी पूजन घर के पूजा स्थल या तिजोरी रखने वाले स्थान पर करनी चाहिए, व्यापारियों को अपनी तिजोरी के स्थान पर पूजन करना चाहिए। उक्त स्थान को गंगा जल से पवित्र करके शुद्ध कर लेना चाहिए, द्वार व कक्ष में रंगोली को बनाना चाहिए, देवी लक्ष्मी को रंगोली अत्यंत प्रिय है। सांयकल में लक्ष्मी पूजन के समय स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्रों को धारण करना चाहिए विनियोग द्वारा निम्न मंत्र का जाप करें।
महामन्त्र ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये मह्य प्रसीद-प्रसीद महा-लक्ष्मि, ते नमः।
विधिवत रुप से श्री महालक्ष्मी का पूजन और मंत्र जाप करने के बाद हाथ जोड़कर प्रार्थना करनी चाहिए। इस तरह आपके घर में बिना किसी खर्च के धन का आगमन होगा।
घर में शक्ति का वास स्थापित करने के लिए शाम 5 बजे के बाद हनुमान जी के सामने देसी घी का दीपक लगाएं या हनुमान चालीसा का पाठ करें।