Edited By ,Updated: 06 Mar, 2015 04:04 AM
सनातन धर्म में किसी भी पर्व-त्योहारों को मुहूर्त शुद्धि के अनुसार मनाना शुभ एवं कल्याणकारी माना गया है। होलिका दहन हमेशा भद्रा समय के उपरांत ही करें।
सनातन धर्म में किसी भी पर्व-त्योहारों को मुहूर्त शुद्धि के अनुसार मनाना शुभ एवं कल्याणकारी माना गया है। होलिका दहन हमेशा भद्रा समय के उपरांत ही करें। आज रात्रि होलिका दहन पर भद्रा की बाधा नहीं रहेगी। सुबह दस बजकर 29 मिनट पर भद्रा समाप्त हो चुकी है। शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन प्रदोष व्यापिनी फाल्गुन पूर्णिमा में भ्रद्रारहित काल में करना चाहिए।
मान्यता है की भद्रा भगवान सूर्य नारायण की बेटी, यमराज और शनि की सगी बहन हैं। ज्योतिष के अनुसार विष्टि नाम का एक करण है वह जब-जब आता है उस समय में भद्रा का दोष लग जाता है। पुराणों में वर्णित है कि श्रावणी यानि रक्षाबंधन और होलिका दहन न करें। ऐसा करने से अशुभता के आसार बढ़ जाते हैं।
होली का शुभ मुहूर्त-
शाम 5:00 से 6:30 बजे तक शुभ मुहूर्त रहेगा
शाम 6:30 से रात 8:00 बजे तक अमृत मुहूर्त रहेगा
शाम 6:30 से रात 08:50 बजे तक होलिका दहन और पूजा का मुहूर्त