बेमौसमी बरसात ने तोड़े किसानों के सपने, 700 करोड़ का नुक्सान

Edited By ,Updated: 17 Mar, 2015 12:59 PM

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पंजाब के कृषि विभाग के आकलन के अनुसार मार्च के महीने में हो रही बेमौसमी बरसात के चलते राज्य के किसानों को ...

जालंधर: पंजाब के कृषि विभाग के आकलन के अनुसार मार्च के महीने में हो रही बेमौसमी बरसात के चलते राज्य के किसानों को करीब 700 करोड़ रुपए का नुक्सान हुआ है। विभाग के निदेशक मंगल सिंह संधू ने बताया कि कृषि विभाग ने अपने स्तर पर किए गए आकलन की रिपोर्ट राज्य सरकार को भेज दी है और राज्य सरकार किसानों के नुक्सान की भरपाई का मामला केन्द्र के समक्ष उठाएगी। 

700 करोड़ का नुक्सान

बेमौसमी बरसात और ओलों के चलते पंजाब में गेहूं, आलू, पशु चारा, सब्जियों और बागवानी की अन्य फसलों को नुक्सान पहुंचा है। बरसात के बाद चली आंधियों के चलते कई स्थानों पर गेहूं की फसल खेत में लेट गई है जिसके कारण फसल को भारी नुक्सान होगा। पंजाब में करीब 40 प्रतिशत आलू की फसल अभी भी खेत में जमीन के नीचे है और लगातार रुक-रुक कर हो रही बरसात के कारण जमीन के अंदर आलू की फसल खराब हो रही है क्योंकि आलू का लगातार पानी में रहना खतरनाक है।

सरकार मुआवजा राशि तय करेगी

जालंधर के जिलाधीश कमल किशोर यादव ने राज्य सरकार को आदेश पहुंचाने की पुष्टिï करते हुए कहा, ‘‘पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बरसात के चलते किसानों को हो रहे नुक्सान की भरपाई के लिए राज्य सरकार ने गिरदावरी करने के आदेश जारी कर दिए हैं। जिलाधीश ने कहा कि जमीनी स्तर पर हुए नुक्सान का आकलन करने के लिए काम शुरू कर दिया गया है और अगले एक सप्ताह के भीतर फसलों को हुए नुक्सान का मोटे तौर पर अंदाजा मिल जाएगा और फिर इसी रिपोर्ट के आधार पर सरकार मुआवजा राशि तय करेगी। 

लेबर का खर्च बढ़ेगा

बेमौसमी बरसात के चलने न सिर्फ किसानों का गेहूं और आलू का प्रति हैक्टेयर उत्पादन कम होगा बल्कि गेहूं की फसल खेत में बिछ जाने से लेबर का खर्च भी बढ़ेगा। खेत में बिछी फसल की मशीन से कटाई सम्भव नहीं है। लिहाजा अब इसकी कटाई के लिए लेबर लगानी पड़ेगी जिस पर ज्यादा खर्च आएगा। बिल्कुल ऐसा ही आलू की फसल के साथ भी होगा। गीले खेत से आलू निकालने के लिए अब ज्यादा मशक्कत करनी पड़ेगी। मिट्टी से लदे आलू की सफाई में भी अतिरिक्त समय और लेबर की जरूरत पड़ेगी।

गड़बड़ाएगा फसली चक्र

बेमौसमी बरसात के कारण फसली चक्र भी प्रभावित होगा। गेहूं की फसल को पकने में अब 10 से 15 दिन ज्यादा लग सकते हैं। कृषि विभाग के निदेशक मंगल सिंह संधू ने कहा कि गेहूं और आलू के बाद अगली फसल में कम से कम 10 दिन की देरी हो सकती है क्योंकि फसल अब पकने में थोड़ा ज्यादा वक्त लेगी और इसके बाद जिन इलाकों में फसल बिछ गई है वहां कटाई में अतिरिक्त समय लगेगा लिहाजा अगली फसल में 10 से 15 दिन तक की देरी सम्भव है।

पहले बाजार ने मारा, अब मौसम की मार

पहले बाजार ने मारा, अब बरसात ने। बाजार की चाल से परेशान पंजाब के आलू किसानों पर मौसम की मार पड़ रही है। देश भर में आलू की बम्पर फसल के चलते मंडी में 4 रुपए किलो तक आलू बेचने पर मजबूर किसानों के लिए अब मौसम कहर बन कर टूट रहा है। पिछले महीने जिन किसानों ने भाव में तेजी आने की उम्मीद से आलू की फसल की ‘पुटाई’ नहीं की थी उनके सपनों पर मौसम ने पानी फेर दिया है। 

आलू किसान बेहाल, केंद्र दखल दे

कन्फैडरेशन ऑफ पटैटो सीड फार्मर्स (पासकोन) के महासचिव जंग बहादुर सिंह संघा ने कहा कि इस सीजन में पहले बाजार और अब मौसम ने किसानों का भारी नुक्सान किया है। लिहाजा अब किसान को बचाने के लिए आलू का निर्यात ही एकमात्र विकल्प है। इसमें आलू की मांग है और निर्यात के विकल्प पर काम करके ही किसान बचे हुए आलू का अच्छा दाम हासिल कर सकते हैं क्योंकि देश में आलू की बम्पर फसल है और स्थानीय स्तर पर आलू किसान की लागत से भी आधी कीमत पर बिक रहा है।

पासकोन के सचिव पवन जोत ने कहा कि सरकार को इस साल देश में होने वाली आलू की बम्पर फसल का अंदाजा ही नहीं था, लिहाजा सरकार ने आलू का निर्यात रोकने के लिए लगाए गए 450 डॉलर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य को समय से नहीं हटाया जिसके चलते किसान आलू को निर्यात करने के विकल्प पर काम नहीं कर सके जिस कारण देश में आलू की कीमतें जमीन पर आ गईं।

अब देश में आलू सरप्लस है लिहाजा सरकार को आलू की खरीद करने अपने स्तर पर निर्यात करने का विकल्प अपनाना चाहिए। पवन जोत ने कहा कि सरकार के लिए आलू मार्कीट इंटरवेशन स्कीम को लागू करने का यह सही समय है।

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