Edited By ,Updated: 21 Mar, 2015 05:37 PM
'रोडवेज दी लारी,न कोई शीशा ते न कोई बारी', ये तो अापने अक्सर सुना ही होगा कि रोडवेज की बस के शीशे अधिकतर टूटे ही रहते है।
पटियालाः 'रोडवेज दी लारी,न कोई शीशा ते न कोई बारी', ये तो अापने अक्सर सुना ही होगा कि रोडवेज की बस के शीशे अधिकतर टूटे ही रहते है। लेकिन इस बार तो ये शीशे किसी की जान बचाने के काम अा गए। अब अाप हैरान होंगे कि एेसा कैसे हो सकता है शीशे किसी की जान कैसे बचा सकते है।
दरअसल, गत दिवस मोहाली से भटिंडा जा रही थी और संगरूर रोड भाखड़ा नहर के पास यात्रियों को बैठाने के लिए ड्राइवर ने बस रोकी तो इस बीच उसने शीशे से देखा कि एक अकेली लड़की भाखड़ा नहर में कूदकर आत्महत्या करने लगी है।
इस बीच ड्राइवर गुरजिंद बस को किनारे लगाकर उसे बचाने के लिए भाखड़ा में कूद गया। बताया जा रहा है कि ड्राइवर गुरजिंदर को तैरना नहीं आता था और इसके बावजूद अपनी जान की परवाह किए बिना लड़की को सही सलामत पुलिस को सौंप दिया।