Edited By ,Updated: 23 Mar, 2015 08:33 AM
इसमें 700 श्लोक ब्रह्मा, वशिष्ठ व विश्वामित्र द्वारा रचित हैं इसीलिए इसे सप्तशती कहते हैं । इसमें 90 मारण के, 90 मोहन के, 200 उच्चाटन के, 200 स्तंभन के,60- 60 विद्वेषण के कुल मिला कर 700 श्लोक हैं। यह तंत्र व मंत्र दोनों का अद्वितीय संपूर्ण ग्रंथ है...
इसमें 700 श्लोक ब्रह्मा, वशिष्ठ व विश्वामित्र द्वारा रचित हैं इसीलिए इसे सप्तशती कहते हैं । इसमें 90 मारण के, 90 मोहन के, 200 उच्चाटन के, 200 स्तंभन के,60- 60 विद्वेषण के कुल मिला कर 700 श्लोक हैं। यह तंत्र व मंत्र दोनों का अद्वितीय संपूर्ण ग्रंथ है । इनका दुरुपयोग न हो इसलिए तीनों विद्वानों ने इन्हें श्रापित भी कर दिया। अत: पहले श्शापोद्वार के 20 मंत्र पढ़ कर ही दुर्गा सप्तशती का पाठ आरंभ होता है।
व्रत
सभी दिन अथवा सप्तमी, अष्टमी या नवमी पर निराहार उपवास रखा जा सकता है। इस मध्य केवल फलाहार भी किया जा सकता है।
कन्या पूजन
अष्टमी या नवमी पर 9 वर्ष की कन्या तथा एक बालक को घर बुलाकर उनका पूजन करके भोजन करवाएं। उन्हें उचित दक्षिणा एवं उपहार सहित विदा करें।