मान-सम्मान प्राप्त करने के लिए याद रखें चाणक्य का ज्ञान

Edited By ,Updated: 24 Mar, 2015 08:20 AM

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सुंदरता किसी को भी अपने आकर्षण में बांध कर अपना बना लेती है। सुंदरता के अधीन होकर व्यक्ति अपना सर्वस्व हार जाता है। ईश्वर ने सुंदरता का वरदान हर किसी को नहीं दिया होता अगर कोई

सुंदरता किसी को भी अपने आकर्षण में बांध कर अपना बना लेती है। सुंदरता के अधीन होकर व्यक्ति अपना सर्वस्व हार जाता है। ईश्वर ने सुंदरता का वरदान हर किसी को नहीं दिया होता अगर कोई व्यक्ति सुंदर नहीं है तो ऐसे में उसे क्या करना चाहिए? इस संबंध में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि-

बिन विषहूं के सांप को, चाहिए फने बढ़ाय। 

होउ नहीं या होउ विष, घटाघोप भयदाय।। 

अर्थात जिस सांप में विष न भी हो उसे अपना फन फैलाकर फुंकारना आना चाहिए। जिससे देखने वाले पर उसका भय बना रहे। जीवन में आडम्बर का होना भी अवश्यक है। आप सुंदर हो या नहीं हो दूसरों के सामने ऐसे रहो जैसे आप बहुत सुंदर हो। यदि आप में ज्ञान का अभाव है दूसरों के सामने ऐसे दिखाए की आप बहुत ज्ञानी हैं। ताकि समाज में आपको विद्वान माना जाए और मान-सम्मान प्राप्त हो।

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