दुर्भाग्य को दूर कर सौभाग्य देगा देवी कात्यायिनी का मंत्र एवं उपाय

Edited By ,Updated: 25 Mar, 2015 09:26 AM

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पराशक्ति दुर्गा के छठे स्वरूप में नवरात्र की षष्टी तिथि पर देवी कात्यायिनी का पूजन किया जाता है। देवी दुर्गा ने महर्षि कात्यायन के घर पुत्री रूप में जन्म लिया इसलिए वह कात्यायनी कहलाईं। देवी कात्यायनी अमोद्य फलदायिनी हैं इनकी पूजा से भक्त के भीतर...

पराशक्ति दुर्गा के छठे स्वरूप में नवरात्र की षष्टी तिथि पर देवी कात्यायिनी का पूजन किया जाता है। देवी दुर्गा ने महर्षि कात्यायन के घर पुत्री रूप में जन्म लिया इसलिए वह कात्यायनी कहलाईं। देवी कात्यायनी अमोद्य फलदायिनी हैं इनकी पूजा से भक्त के भीतर अद्भुत शक्ति का संचार होता है। इनका का स्वरूप परम दिव्य और सुवर्ण (सोने) के समान चमकीला है।

शास्त्रों के अनुसार देवी के स्वरुप का वर्णन चतुर्बाहु रूप में किया गया है। देवी के ऊपर वाले बाएं हाथ में कमल है। नीचे वाले बाएं हाथ में तलवार है। ऊपर वाला दायां हाथ अभय मुद्रा में है। इनका नीचे वाला दायां हाथ वरदमुद्रा में। देवी कात्यायनी के विग्रह में इन्हें सिंह पर विराजमान बताया गया है। इन्होने पीले रंग के वस्त्र पहने हुए हैं। इनके शरीर और मस्तक नाना प्रकार के स्वर्ण आभूषणों से सुसज्जित हैं। भगवान कृष्ण को पतिरूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा कालिन्दी-यमुना के तट पर की थी। ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं। 
 
गौधूलि वेला में उत्तरपूर्व मुखी होकर पूजा घर में पीले रंग का कपड़ा बिछाएं तथा कपड़े पर चना दाल की ढेरी बिछाएं। पूजा में पीले आसान का उपयोग करें। चना दाल की ढेरी पर देवी कात्यायनी का चित्र स्थापित करें। हाथ में जल लेकर संकल्प करें तथा हाथ जोड़कर देवी का ध्यान करें।
 
ध्यान: चन्द्रहासोज्जवलकरा शाईलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।।
 
शुद्ध घी में हल्दी मिलाकर दीपक करें। चंदन से धूप करें। देवी पर पीले कनेर यां गैंदे के फूलों को चढ़ाएं। इन्हें बेसन के हलवे का भोग लगाएं। श्रृंगार में इन्हें हल्दी अर्पित करें। केसर से तिलक करें। तत्पश्चात बाएं हाथ में साबुत हल्दी लेकर दाएं हाथ से पंचमुखी रुद्राक्ष अथवा हरिद्रा (हल्दी) की माला से देवी के मंत्र का जाप करें। सौभाग्य के लिए देवी कात्यायिनी पर गुड़ चना का भोग लगाएं।
 
मंत्र: ह्रीं श्रीं ग्रीं कात्यायनी देव्यै नमः।।
 
मंत्रजाप के बाद साबुत हल्दी पीले कपड़े मे बांधकर पूजाघर में स्थापित करें। इनकी उपासना से व्यक्ति का दुर्भाग्य दूर होता है। इनकी कृपा से धन, सुख, वैभव, ऐश्वर्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। घर परिवार और दांपत्य में सदैव सुख कि गंगा बहती रहती है।
 
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल kamal.nandlal@gmail.com
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