Edited By ,Updated: 26 Mar, 2015 08:59 AM
आज जिस प्रकार से कन्याओं की संख्या कम हो रही है और कंजकों के दिन लोग छोटी कन्याएं तलाशते नजर आते हैं, वह बात सिद्ध करती है कि नवरात्रि पूजन में कन्या पूजन का कितना महत्व है क्योंकि
आज जिस प्रकार से कन्याओं की संख्या कम हो रही है और कंजकों के दिन लोग छोटी कन्याएं तलाशते नजर आते हैं, वह बात सिद्ध करती है कि नवरात्रि पूजन में कन्या पूजन का कितना महत्व है क्योंकि धार्मिक ग्रंथों के अनुसार छोटी कन्याएं माता के समान ही पवित्र और पूजनीय होती हैं।
दो वर्ष से दस वर्ष तक की कन्याएं साक्षात माता का स्वरूप मानी जाती हैं। यही कारण है कि इसी उम्र की कन्याओं के पैरों का विधिवत पूजन कर उन्हें अंतिम नवरात्रि पर भोजन कराया जाता है। मान्यता है कि होम, जप और दान से देवी इतनी प्रसन्न नहीं होतीं, जितनी कन्या पूजन से वह प्रसन्न हो जाती हैं।
नवरात्र इस बात का संदेश भी देते हैं कि जिनके आगमन से देवी-देवता भी खुश होते हैं, उनका स्थान सृष्टि में कितना ऊंचा है तथा जहां बेटियों का जन्म लेना आवश्यक है, वहीं उनकी सुरक्षा करना भी हमारा धर्म है।