भगवती मां को क्यों कहा जाता है दुर्गा

Edited By ,Updated: 26 Mar, 2015 01:51 PM

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शिवपुराण के अनुसार दुर्गम नामक एक महाबली दैत्य ब्रह्मा जी के वरदान से अत्यंत बलशाली हो गया। सभी यज्ञानुष्ठान, दान, तप बंद हो गए। परिणामस्वरूप सब लोग भूख प्यास में संतप्त होकर प्राणहीन हो गए, तब ब्रह्मादि देवताओं ने मां दुर्गा की स्तुति की- हे...

 शिवपुराण के अनुसार दुर्गम नामक एक महाबली दैत्य ब्रह्मा जी के वरदान से अत्यंत बलशाली हो गया। सभी यज्ञानुष्ठान, दान, तप बंद हो गए। परिणामस्वरूप सब लोग भूख प्यास में संतप्त होकर प्राणहीन हो गए, तब ब्रह्मादि देवताओं ने मां दुर्गा की स्तुति की- हे महामाया! जिस प्रकार आपने शुम्भ-निशुम्भ, चंड-मुंड, रक्तबीज, मधु-कैटभ, महिषासुर इत्यादि असुरों का नाश कर समस्त लोकों को भयमुक्त किया, इसी प्रकार दुर्गमासुर के अत्याचार से भगवती हमारी रक्षा कीजिए। देवताओं की प्रार्थना पर मां (दुर्गा) के दिव्य शरीर से काली, तारा, छिन्नमस्ता श्री विद्या, भुवनेश्वरी, भैरवी, बगलामुखी, धूमावती, त्रिपुरसुंदरी और मातङ्गी ये दस महाविद्याएं अस्त्र-शस्त्र लिए प्रकट हुईं तथा असंख्य मातृकाएं भी प्रकट हुईं। 

इन शक्तियों ने दुर्गमासुर की सौ अक्षौहिणी सेना को मार डालाष तत्पश्चात दुर्गमासुर का तीक्षण त्रिशूल से वध कर दिया तथा वेदों का उद्धार कर धर्म की स्थापना की। दुर्गमासुर के वध के कारण उनका दुर्गा नाम जगत प्रसिद्ध हुआ। दुर्गतिनाशिनी होने के कारण भी वे दुर्गा कहलाती हैं।

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