जाने वाजपेयी का 1924 से ''भारत रत्न'' मिलने तक का सफर

Edited By ,Updated: 27 Mar, 2015 07:22 PM

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साल 1968 में अटल बिहारी वाजपेयी राष्ट्रीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। वर्ष 1975-77 में आपातकाल के दौरान वाजपेयी अन्य नेताओं के साथ अरेस्ट किए गए....

नई दिल्ली. वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था। उन्होंने ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज (अब लक्ष्मीबाई कॉलेज) से स्नातक किया और फिर कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र में एमए की उपाधि हासिल की। इसके उपरांत वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्णकालिक सदस्य बन गए। उन्होंने‘ राष्ट्रधर्म’ (मासिक हिन्दी),‘साप्ताहिक हिन्दी), ‘स्वदेश’(दैनिक) तथा‘वीर अर्जुन’(दैनिक) का संपादन किया।
 
 उन्होंने 1951 में आरएसएस के सहयोग से भारतीय जनसंघ पार्टी बनाई। अपनी कुशल वक्तृत्व शैली  से राजनीति के शुरुआती दिनों में ही उन्होंने रंग जमा दिया। साल 1957 में बलरामपुर से चुनाव जीतकर पहली बार संसद पहुंचे जो अगले पांच दशकों के उनके संसदीय करियर की शुरुआत थी। उनके असाधारण व्यक्तित्व को देखकर देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि  आने वाले दिनों में यह व्यक्ति जरूर प्रधानमंत्री बनेगा।  
 
साल 1968 में अटल बिहारी वाजपेयी राष्ट्रीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। वर्ष 1975-77 में आपातकाल के दौरान वाजपेयी अन्य नेताओं के साथ अरेस्ट किए गए। जेल से छूटने के बाद उन्होंने जनसंघ का जनता पार्टी में विलय कर दिया। वर्ष 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी की जीत हुई थी और  वह मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली सरकार में विदेश मंत्री बने। विदेश मंत्री बनने के बाद वाजपेयी पहले ऐसे नेता है जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासंघ को हिन्दी भाषा में संबोधित किया। जनता पार्टी की सरकार 1979 में गिर गई, लेकिन उस समय तक वाजपेयी ने अपनी पहचान एक अनुभवी नेता और वक्ता के रूप में बना ली थी। इसके बाद जनता पार्टी अंतर्कलह के कारण बिखर गई। 
 
वर्ष 1980 में वाजपेयी भाजपा के संस्थापक सदस्य बने और पार्टी के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। वाजपेयी 1996 से लेकर 2004 तक तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने। वर्ष 1996 के लोकसभा चुनाव में भाजपा देश की सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी और वाजपेयी पहली बार प्रधानमंत्री बने। उनकी सरकार 13 दिनों में संसद में पूर्ण बहुमत हासिल नहीं करने के कारण गिर गई। 1998 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को ज्यादा सीटें मिलीं और कुछ अन्य पार्टियों के सहयोग से वाजपेयी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का गठन किया और फिर प्रधानमंत्री बने। 
 
यह सरकार अन्नाद्रमुक के समर्थन वापस लेने के कारण 13 महीने में ही गिर गई। साल 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा फिर से सत्ता में आई और इस बार वाजपेयी ने अपना कार्यकाल पूरा किया। उनके कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण घटनाएं घटीं, जिसमें कारगिल युद्ध, दिल्ली-लाहौर बस सेवा शुरू होना, संसद पर आतंकी हमला और गुजरात दंगे प्रमुख हैं।
 
उन्हें 1992 में पद्मविभूषण, 1993 में कानपुर विश्वविद्यालय से डीलिट की उपाधि, 1994 में लोकमान्य तिलक पुरस्कार, 1994 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार, 1994 में पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। उनकी कविताओं का संग्रह मेरी इक्यावन कविताएं 1995 में और ‘क्या खोया क्या पाया’ 1999 में प्रकाशित हुई।

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