Edited By ,Updated: 28 Mar, 2015 09:28 AM
आजकल के पेरैंट्स को समझ ही नहीं आता कि अपने बच्चे के मन में रीडिंग हैबिट को कैसे डिवैल्प किया जाए ताकि उनका रुझान किताबें पढऩे की ओर भी जाए तथा वह अपना सिलेबस ही नहीं बल्कि भाषा के प्रति अपनी स्किल्स को भी निखार सकें.....
आजकल के पेरैंट्स को समझ ही नहीं आता कि अपने बच्चे के मन में रीडिंग हैबिट को कैसे डिवैल्प किया जाए ताकि उनका रुझान किताबें पढऩे की ओर भी जाए तथा वह अपना सिलेबस ही नहीं बल्कि भाषा के प्रति अपनी स्किल्स को भी निखार सकें ।पेरैंट्स को चाहिए छोटे बच्चों को किताब में से कहानी या कविता रोचक अंदाज में पढ़ कर सुनाएं तथा उन्हें उसके बारे में विस्तार से समझाएं और आपका तरीका रोचक न हुआ तो बच्चे भी उसमें इंट्रस्ट नहीं ले पाएंगे ।
खिलौने ही नहीं किताबें भी दें
पेरैंट्स को चाहिए अपने छोटे बच्चों को धीरे-धीरे खिलौने की जगह किताबें, नोटबुक और ड्राइंग बुक दें । किताबों के प्रति बच्चों में रुचि दो-तीन साल की उम्र से ही जगाएं । बच्चों को यूं भी किताबों से लगाव होता है, वे अक्सर कागज से खेलते या मैगजीन में तस्वीरों को उलटते-पलटते नजर आएंगे ।
इससे उसे पढऩा और समझना आने लगेगा, साथ ही वह भाषा पर भी अपनी सही ढंग से पकड़ बनाने लग जाएगा । वास्तव में यह इतना मुश्किल भी नहीं है, इसके लिए बस बचपन से ही आपको शुरूआत करनी होगी तथा कुछ ऐसे ट्रिक्स आजमाने पड़ेंगे कि उनकी किताबों से दोस्ती हो जाए ।
बच्चों के लिए बनाएं स्टोरी बैंक
दोनों ही उदाहरणों में एक बात कॉमन है कि बच्चों में पढ़ाई की आदत कहानियां सुनाने और पढ़ाने से ही डिवैल्प होती है । आजकल मां-बाप के पास समय की कमी है, विशेष तौर से कहानियां सुनाने की जबकि यह सब उसी तरह से जरूरी है जैसे हमारे बचपन में हमारे मां-बाप और दादा-दादी सुनाते थे । इसके अलावा आप उनके लिए स्टोरी बैंक बना कर रखें, ताकि बच्चे इन्हें पढ़े, सुने या देख सकें ।
किताब हो पसंद
छोटे बच्चों को तो आप रंग-बिरंगी तस्वीरों वाली किताब दे देंगे परंतु यदि बड़े बच्चे को उसकी पसंदीदा कहानियों या विषय की किताब नहीं मिली तो उसका उसे पढऩे को भी दिल नहीं करेगा । अत: उनकी पसंद के बारे में जानते हुए उसमें रीडिंग हैबिट को डिवैल्प कर सकते हैं ।