Edited By ,Updated: 29 Mar, 2015 07:13 AM
चैत्र मास के नवरात्र आज पूर्ण हुए। कल 29 मार्च 2015 रविवार को खेत्री अर्थात ज्वार या जौ को विसर्जन करने का दिन है। जौ जीवन में सुख और शांति का प्रतीक होते हैं क्योंकि
चैत्र मास के नवरात्र आज पूर्ण हुए। कल 29 मार्च 2015 रविवार को खेत्री अर्थात ज्वार या जौ को विसर्जन करने का दिन है। जौ जीवन में सुख और शांति का प्रतीक होते हैं क्योंकि देवियों के नौ रूपों में एक मां अन्नपूर्णा का रूप भी होता है। जौ की खेत्री का हरा-भरा होना इस बात का प्रतीक है कि जीवन भी हरा-भरा रहे और साथ ही देवी की कृपा भी बनी रहे।
विसर्जन करने से पहले माता जी के स्वरूप तथा जवारों का विधिपूर्वक पूजन करें। विधि विधान से पूजन किए जानें से अधिक मां दुर्गा भावों से पूजन किए जाने पर अधिक प्रसन्न होती हैं। अगर आप मंत्रों से अनजान हैं तो केवल पूजन करते समय दुर्गा सप्तशती में दिए गए नवार्ण मंत्र
'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे'
से समस्त पूजन सामग्री अर्पित करें। मां शक्ति का यह मंत्र समर्थ है। अपनी सामर्थ्य के अनुसार पूजन सामग्री लाएं और प्रेम भाव से पूजन करें। संभव हो तो श्रृंगार का सामान, नारियल और चुनरी अवश्य अर्पित करें।
पूजन समाप्ति के उपरांत अंजली में चावल एवं पुष्प लेकर जवारे का पूजन निम्न मंत्र के साथ करें-
गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठे स्वस्थानं परमेश्वरि।
पूजाराधनकाले च पुनरागमनाय च।।
अब खेतरी का विसर्जन कर दें, नवरात्र के नौ दिनों में खेत्री में समाई नवदुर्गा की शक्ति और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
खेत्री विसर्जन के शुभ मुहूर्त
सुबह 08:00 से 09:30 तक- शुभ
दोपहर 12:35 से 02:05 तक- चल
दोपहर 02:05 से 03:40 तक- लाभ
दोपहर 03:40 से शाम 05:10 तक- अमृत