7 गेम चेंजर टेक्नोलॉजी जो Cricket World Cup 2015 में हुई इस्तेमाल

Edited By ,Updated: 28 Mar, 2015 06:14 PM

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क्रिकेट वर्ल्ड कप 2015 का क्रैज सबके सिर चढ़ा हुआ है। जिसमें खिलाड़ी और अंपायर के साथ-साथ तकनीक भी अपनी अहम भुमिका निभा रही है। जब क्वार्टर फाइनल मैच में बांग्लादेश के खिलाड़ी रुबेल हुसैन के नो ...

क्रिकेट वर्ल्ड कप 2015 का क्रैज सबके सिर चढ़ा हुआ है। जिसमें खिलाड़ी और अंपायर के साथ-साथ तकनीक भी अपनी अहम भुमिका निभा रही है। इसका एक उदाहरण उस समय सामने आया जब बांग्लादेश के खिलाड़ी रुबेल हुसैन के नो बॉल पर अंपायर ने भारतीय खिलाड़ी रोहित शर्मा को नॉट आउट करार दिया था। इसमें फैसले की विश्वसनीयता को जांचने के लिए तकनीक का सहारा लिया गया। आईए जानते हैं ऐसी ही 7 गेम चेंजर टेक्नोलॉजी के बारे में जो क्रिकेट में किसी भी फैसले की विश्वसनीयता को परखती है और इस बार वल्र्ड कप में इस्तेमाल हुई :- 

1. LED Stumps and Bails
वह दौर चला गया है जब स्टम्प में कैमरा लगा होता था अब LED स्टम्प का समय है। इसका फायदा यह होता है कि जब बॅाल स्टम्प से टकराती है तो इस पर लगी LED लाइट जलने लगती है। इस तकीनक की मदद से जहां थर्ड अंपायर का काम आसान हो जाता है वहीं गलत फैसले की गुंजाइश भी नहीं रहती।

2. Pitch Vision
टीवी पर क्रिकेट देखते समय आपने अकसर देखा होगा कि कितनी बाल शॅाट पिच पर आई, तो कितनी गुड और कितनी फुल पर। यह PitchVision तकनीक से संभव होता है। यह गेंदबाज और बल्लेबाज दोनों के प्रदर्शन में सुधार लाने में मदद करता है।

3. Real-time Snicko
स्निको तकनीक यह बताने में मदद करती है कि बॉल बैट के कितने करीब से गुजर रही है। इसका इस्तेमाल 2008 से हो रहा है। यह डिसीजन रिव्यू सिस्टम (DRS) के लिए विश्वसनीय टेक्नोलॉजी के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।

4. Ball Spin RPM
स्पिन बॉलर के हाथ से बॅाल निकलने के बाद कितनी तेजी से स्पिन कर रही है बॉल स्पिन RPM यह बताने में मदद करती है। जिससे टीवी पर मैच देख रहे दर्शकों को तुरंत ही बॉल की रोटेशनल स्पीड देखने को मिल जाती है।

5. Hawkeye ball-tracking
ball-tracking सिस्टम नाम से मतलब साफ हो जाता है 'बॅाल को ट्रैक' करना यानि पीछा करना। क्रिकेट फील्ड में लगाए गए 6 कैमरे बॉलर के हाथ से बॉल फेंके जाने के से लेकर फील्डर से बॅाल को रोके जाने तक ये 6 कैमरे काम करते हैं और बॉल को ट्रैक करते हैं। इसके बाद वीडियो का 3D इमेज बनाया जाता है और इसके साथ ही बॉल की स्पीड, बाउंस और स्विंग को ध्यान में रखा जाता है।

6. Spidercam

स्पाइडरकैम की मदद से क्रिकैट ग्राउंड के उपर से नजर रखी जाती है। जिसके लिए केबल और तार का प्रयोग होता है। केबल व तार की मदद से कैमरे को वर्टिकली और होरिजेंटली कंट्रोल किया जाता है और पूरे मैच पर नजर रखी जाती है।

7. Hot Spot
बॉल ने बल्लेबाज, बल्ले या फिर बल्लेबाज के पैड को टच किया है यह नहीं इसका पता Hot Spot तकनीक से पता चलता है। फील्ड के दोनों तरफ दो इन्फ्रारेड कैमरे बॉल द्वारा बैट्समैन के पैड या बैट पर हिट किए जाने की इमेज को कैप्चर करते हैं।

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