निष्कासनःकानूनी राह अख्तियार करेंगे योगेन्द्र, प्रशांत

Edited By ,Updated: 28 Mar, 2015 09:36 PM

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आप की राष्ट्रीय परिषद की बैठक को असंवैधानिक व अवैध करार देते हुए असंतुष्ट नेता योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण ने शनिवार को राष्ट्रीय कार्यकारणी से अपने निष्कासन के खिलाफ कानून का रास्ता अपनाने की संभावना से इंकार नहीं किया।

 नई दिल्लीः आप की राष्ट्रीय परिषद की बैठक को असंवैधानिक व अवैध करार देते हुए असंतुष्ट नेता योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण ने शनिवार को राष्ट्रीय कार्यकारणी से अपने निष्कासन के खिलाफ कानून का रास्ता अपनाने की संभावना से इंकार नहीं किया।

केजरीवाल पर तानाशाही प्रवृत्ति और निर्ममता से असंतोष की आवाज दबाने के लिए निशाना साधते हुए प्रशांत भूषण ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि फैसले को चुनौती देने के लिए सभी विकल्प खुले हैं। उन्होंने कहा कि यह सही है कि हम अदालत, चुनाव आयोग जा जा सकते हैं या राष्ट्रीय परिषद की दूसरी बैठक बुला सकते हैं। सभी विकल्प खुले हैं।



बैठक के अंदर का ब्यौरा देते हए दोनों नेताओं ने केजरीवाल पर सुनियोजित तरीके से असंतुष्ट नेताओं के खिलाफ राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों को उकसाने का आरोप लगाया जिसमें कुछ सदस्यों के साथ धक्का मुक्की की गई। इन्होंने आरोप लगाया कि केजरीवाल ने अपने भाषण के दौरान यह धमकी दी कि अगर हमें राष्ट्रीय कार्यकारणी से नहीं हटाया गया तब वह इस्तीफा दे देंगे।


योगेन्द्र ने कहा कि केजरीवाल ने करीब एक घंटे तक नाटकीय अंदाज में भाषण दिया और यह हमारे खिलाफ आरोपों से भरा हुआ था। उन्होंने धमकी दी कि अगर हमें नहीं हटाया जाता है तब वह इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने शांति भूषण का नाम लिए बिना उन पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया। इसके बाद विधायक कपिल मिश्रा सहित 10 लोग खड़े हुए और हमें गद्दार कहते हुए नारेबाजी शुरू कर दी।


उन्होंने कहा कि भाषण समाप्त करने के तुरंत बाद पार्टी के संयोजक दिल्ली के परिवहन मंत्री गोपाल राय को बैठक का अध्यक्ष बनाने तथा आधिकारिक कार्यों का हवाला देते हुए वहां से चले गए। इसके कुछ ही सेकेंड बाद दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने निष्कासित करने का प्रस्ताव पेश किया। योगेन्द्र ने कहा कि सिसोदिया ने कहा कि 167 सदस्यों ने प्रस्ताव रखा है और किसी का अनुमोदन लिए बिना मतदान शुरू हो गया। हमने राय से चर्चा शुरू करने और गुप्त मतदान की व्यवस्था करने को कहा कि लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।


उन्होंने कहा कि यह एक पार्टी की विडंबना है कि जिसका जन्म जन लोकपाल पर हुआ, वहां आंतरिक लोकपाल एल रामदास को बैठक में संषर्घ की स्थिति की संभावना का हवाला देते हए आने की अनुमति नहीं दी गई। वहीं, प्रशांत भूषण ने बैठक के दौरान उपद्रव की निंदा करते हुए कहा कि उन्हें पिछले तीन दिन की गतिविधियों से इसके सुनियोजित होने का अंदेशा था।


प्रशांत भूषण ने कहा कि प्रत्येक विधायक को 50 लोग लाने को कहा गया था। वे उपद्रव में लगे हुए थे और जिन लोगों ने रोकने का प्रयास किया, उन्हें धक्का देकर बाहर कर दिया गया। क्या यह वही पार्टी है जिसके लिए हमने खून और पसीना बहाया था। यह पार्टी के लिए काफी गंभीर समय है।    


वहीं, योगेन्द्र ने केजरीवाल खेमे के उन दावों पर चुटकी ली कि राष्ट्रीय परिषद में प्रस्ताव के खिलाफ केवल आठ लोगों ने ही मतदान किया। योगेन्द्र और भूषण ने कहा कि वे यह भी कह सकते हैं कि माइनस आठ थे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय परिषद में मतदान करने और मतदान नहीं करने वाले सदस्यों की पहचान नहीं थी। यह पूरी तरह से पहले लिखी पटकथा के अनुरूप थी। अगर हम उनके दावों को भी मान ले तब क्या यह तथ्य नहीं है कि वे प्रस्ताव पेश करने के लिए केवल 167 हस्ताक्षर जुटा सके।


योगेन्द्र ने कहा कि अगर आपको इतना भरोसा था तब आपने गुप्त मतदान क्यों नहीं होने दिया। आपने पार्टी के लोकपाल को कार्यवाही से अलग क्यों रखा। इस तरह से अपमानित होने के बाद नई पार्टी गठित करने की संभावना को खारिज किए बिना उन्होंने कहा कि वह पार्टी की बैठक में कार्यकर्ताओं के साथ बैठेंगे।

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