घर में करोगे फेरबदल तो tension हो जाएगी छू मंतर

Edited By ,Updated: 29 Mar, 2015 01:43 PM

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आधुनिक सुख-सुविधाओं से जहां एक ओर शारीरिक सुख बढे़ हैं तो दूसरी ओर मानसिक तनाव भी बढ़ता जा रहा है। आज बड़ों की बात तो छोड़े प्रायमरी स्कूल में जाने वाला बच्चा भी तनाव की बात करता है। यूं तो तनाव बढ़ने के कई कारण होते हैं, परन्तु तनाव बढ़ाने में...

आधुनिक सुख-सुविधाओं से जहां एक ओर शारीरिक सुख बढे़ हैं तो दूसरी ओर मानसिक तनाव भी बढ़ता जा रहा है। आज बड़ों की बात तो छोड़े प्रायमरी स्कूल में जाने वाला बच्चा भी तनाव की बात करता है। यूं तो तनाव बढ़ने के कई कारण होते हैं, परन्तु तनाव बढ़ाने में वास्तु की भी एक अहम् भूमिका होती है।

पुराने समय में लगभग सभी घर आयताकार होते थे। घरों में सामान्यतः बोरिंग, भूमिगत पानी की टंकी, सैप्टिक टैंक इत्यादि नहीं होते थे। इस कारण जमीन समतल हुआ करती थी। आज अनियमित आकार के फ्लैट्स व मकान निर्मित किए जा रहे हैं। अब तो 30x50 के प्लाट में भी एक बोरिंग, एक भूमिगत पानी की टंकी, एक सैप्टिक टैंक बनाया जाता है। जो वास्तु ज्ञान न होने के कारण ज्यादातर गलत स्थानों पर ही निर्मित किए जाते हैं।

यह ऐसे महत्वपूर्ण वास्तुदोष है जो कि परिवार में दुखद हादसे, अनहोनी के कारण तनाव वाली स्थितियां पैदा करते हैं। घर के वास्तु का प्रभाव वहां निवास करने वाले सभी पर पड़ता है चाहे वह मकान मालिक हो या किरायदार। यहां कुछ ऐसे वास्तुदोषों की जानकारी दी जा रही है जो मन को अशांत रखते हैं, तनाव पैदा करते हैं।

१ जिस घर का आगे का भाग टूटा हुआ, प्लास्टर उखड़ा हुआ या सामने की दीवार में दरार, टूटी-फूटी या किसी प्रकार से भी खराब हो रहा हो उस घर की मालकिन का स्वास्थ्य खराब रहता है उसे मानसिक अशांति रहती है और हमेशा अप्रसन्न उदास रहती है।

२ जिन घरों में रसोईघर या बाथरूम एक लाईन में बने होते हैं उस परिवार के मुखिया के भाई की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होती है एवं उनकी कन्या संताने अशांत और अप्रसन्न रहती हैं।

३ घर का आग्नेय कोण नीचा हो तो वहां रहने वाले अग्नि भय, शत्रु-भय एवं घर के स्वामी द्वारा अनैतिक कार्य करने से मानसिक परेशानियों से ग्रस्त रहते हैं।

४  घर का वायव्य कोण निचला होने पर भी शत्रुओं की संख्या बढ़ती है। शत्रुओं के कारण गृह-स्वामी को मानसिक तनाव में रहता है।

५ घर का पूर्व एवं आग्नेय निचले हों और वायव्य तथा पश्चिम ऊंचे हों तो प्लाट के स्वामी को लड़ाई-झगड़े, विवाद के कारण मानसिक यातना सहता है।

६ अगर किसी घर का दक्षिण और आग्नेय निचला हों, वायव्य और उत्तर ऊंचे हों तो घर का मालिक कर्ज और बीमारी के कारण मनसिक तनाव में रहता है।

७ जिस घर का नैऋत्य और दक्षिण निचला होता है और उत्तर और ईशान ऊंचा होता है तो ऐसे घरों के मालिक को अपवित्र कार्य करने और व्यसनों का दास बनने से उसे मानसिक अशांति रहती है और परिवार के लोग भी तनाव में रहते हैं।

८ घर के उत्तर, ईशान और पूर्व से नैऋत्य और पश्चिम निचले हो तथा आग्नेय, दक्षिण और वायव्य ऊंचे हो भयंकर आर्थिक संकट के कारण पूरे पारिवार में तनाव बना रहता है।

९  यदि घर का उत्तर, ईशान और पूर्व से पश्चिम और वायव्य अगर निचला हों, आग्नेय दक्षिण, नैऋत्य और पश्चिम ऊंचा हो तो उस परिवार की कन्या संतान को कष्ट होने से पूरा परिवार तनाव में रहता है।

१० किसी घर का प्लाट पूर्व की ओर नीचा हो या ऊंचा हो, अगर पूर्व दिशा की ओर दीवार पर शेड, कमरे इत्यादि से ढंका जाए परिवार की संतान पर गंभीर विपदा के कारण पूरा परिवार मानसिक तनाव में रहता है और परिवार को कई बार अपमान का सामना करना पड़ता है।

११ जिस घर की दक्षिण दिशा या नैऋत्य कोण या पश्चिम दिशा एक भाग या सभी नीचे हो और वहां निर्माण कार्य भी हो उस घर में आमदनी तो अच्छी होती है, परन्तु व्यर्थ खर्चे ज्यादा होने के कारण कर्ज बना रहता है जो मानसिक तनाव का कारण बनता है।

१२ अगर वायव्य ऊंचा हो और उधर पश्चिम और वायव्य के बीच में या वायव्य और उत्तर के बीच में उपर्युक्त निर्माण किए जाएं तो शत्रुओं की संख्या बढ़ जाएगी, घर का मालिक लाईलाज बीमारी से दुःखी होकर मानसिक तनाव में रहता है।

 

१३ अगर घर का ईशान ऊंचा हो, वायव्य में उत्तर और ईशान के बीच में या ईशान और पूर्व के बीच में कुआ, बोरिंग, भूमिगत पानी की टंकी, नाली का चेम्बर, मोरी, किसी प्रकार का गड्ढा आदि खोदें जाएं तो आमदनी से ज्यादा खर्च होने के कारण परिवार में मानसिक तनाव रहता है।

१४ उत्तर में मुख्यद्वार रखकर वायव्य स्थल पर घर बनाने से घर का मालिक अपना ऐश्वर्य खोने एवं शुत्रओं की संख्या बढ़ने से मानसिक तनाव में रहता है।

१५ अगर घर के वायव्य में अधिक बढ़ाव होता तो उस घर का मालिक अनेक बाधाओं और अधिक खर्च के कारण निर्धन रहने से तनाव में रहता है।

१६ जिस घर का वायव्य का बढ़ाव पश्चिम के साथ मिलकर होता है वहां रहने वाले परिवार का धन नाश होता है और अनहोनी के कारण परिवार मानसिक तौर पर विचलित रहता है।

१७  उत्तर के साथ मिलकर अगर वायव्य में बढ़ाव होता तो उस घर में रहने वाले आर्थिक कष्ट, सुख की कमी और अपमान के कारण मानसिक तनाव में रहते हैं।

१८  घर का नैऋत्य कुंचित होकर वायव्य में बढ़ाव होता तो उस घर का मालिक पत्नी की लम्बी बीमारी एवं शत्रुओं के कारण मानसिक अवसाद का शिकार होता है।

१९  अगर ईशान कुंचित हो और आग्नेय बढ़ा हो तो ऐसे घर में रहने वाला का स्वास्थ्य ठीक न रहने एवं परिवार में आपसी कलह के कारण परिवार में तनाव बना रहता है।

- वास्तु गुरू कुलदीप सलूजा

thenebula2001@yahoo.co.in

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