स्मार्ट शहर की तेज होगी डगर

Edited By ,Updated: 30 Mar, 2015 02:29 PM

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स्वच्छ भारत और डिजिटल इंडिया के बाद सरकार अपनी एक और महत्त्वाकांक्षी योजना पर कदम बढ़ाने की तैयारी कर रही है। इसके तहत 'स्मार्ट सिटी' परियोजना को सिरे चढ़ाना है।

नई दिल्लीः स्वच्छ भारत और डिजिटल इंडिया के बाद सरकार अपनी एक और महत्त्वाकांक्षी योजना पर कदम बढ़ाने की तैयारी कर रही है। इसके तहत 'स्मार्ट सिटी' परियोजना को सिरे चढ़ाना है। 

सूत्रों के मुताबिक इसमें राज्य सरकारों की भी जोर-शोर से भागीदारी रहेगी। सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकारें 'सिटी चैलेंज' के जरिए इस परियोजना के कार्यान्वयन में हिस्सा लेंगी। यह योजना 100 स्मार्ट शहरों से जुड़ी है और इसका समन्वय केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय कर रहा है। जब राज्य सरकारें शहर के लिए नामांकन करेंगी तो केंद्र का विशेषज्ञ पैनल विभिन्न पैमानों के आधार पर अंतिम निर्णय करेगा। 
 
एक अधिकारी के अनुसार इन पैमानों में शहर का आकार, आबादी, बुनियादी ढांचे का स्तर और उन्नयन के लिए संभावनाएं जैसे पहलू शामिल होंगे। माना जा रहा है कि इस साल के अंत तक पहले दौर के लिए 20 स्मार्ट शहरों का चयन किया जाएगा। शेष 80 शहरों का चयन बाद में चरणबद्घ तरीके से किया जाएगा। 
 
यहां तक कि कई देशों ने इस परियोजना में दिलचस्पी दिखाई और कुछ के साथ साझेदारी पर बात भी बनी है लेकिन अनुबंधों पर तभी मुहर लगेगी, जब इसके लिए शहरों का चयन होगा। हालांकि सरकारी सूत्रों का संकेत मानें तो कुछ नाम ऐसे हैं, जिनके इस सूची में शामिल होने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि इनमें अजमेर, इलाहाबाद, विशाखापत्तनम और वाराणसी के नाम शामिल होंगे।
 
हालांकि स्मार्ट सिटी परियोजना सिरे चढऩे में देरी का शिकार हुई है और यहां तक कि उसकी अवधारणा भी अभी तैयार ही हो रही है लेकिन फिर भी उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी तवज्जो मिली है। अमरीका, जापान, चीन, जर्मनी, स्पेन, फ्रांस, नीदरलैंड और सिंगापुर ने इसमें दिलचस्पी दिखाई है। भले ही ये देश इसके लिए तकनीकी विशेषज्ञता साथ लाएं लेकिन स्मार्ट सिटी के लिए वित्तीय मॉडल और परियोजना प्रकार पर अभी भी काम ही हो रहा है।
 
शुरूआत में परियोजना की लागत 35,000 करोड़ रुपए सालाना आंकी गई थी, जिस पर नए सिरे से काम किया जा रहा है। वित्त वर्ष 2014-15 में इस परियोजना के लिए 7,016 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गई थी, लेकिन चालू वित्त वर्ष में यह आंकड़ा घटकर 143 करोड़ रुपए रह गया। हालांकि कुल आवंटित 7,016 करोड़ रुपए में से अभी तक 924 करोड़ रुपए ही खर्च हो पाए हैं। माना जा रहा है कि नए वित्तीय ढांचे में राज्य और निजी क्षेत्र स्मार्ट सिटी परियोजना में अधिक निवेश करेंगे।
परियोजनाओं की प्रकृति भी लागत को निर्धारित करेगी। 

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