मां के शांतिप्रदायक एवं कल्याणकारी रूपों के विषय में जानें

Edited By ,Updated: 01 Apr, 2015 12:42 PM

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ॐ नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नम:। नम: प्रकृत्यै भद्रायै नियत: प्रणत: स्म ताम।।

ॐ नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नम:।

नम: प्रकृत्यै भद्रायै नियत: प्रणत: स्म ताम।।

मां दुर्गा साक्षात् प्रकृति हैं तथा सम्पूर्ण चराचर जगत को रचने वाली हैं। दुर्गा पूजन से जीव में असुर भाव का नाश होता है तथा सत्त्व रूपी दैवीय गुण की अभिवृद्धि होती है। भगवान श्री राम द्वारा लंका पर चढ़ाई से पूर्व भगवती दुर्गा का पूजन कर मां को प्रसन्न किया गया। तब आदि शक्ति ने स्वयं प्रकट होकर प्रभु श्री राम को विजय श्री का आशीर्वाद दिया।

मार्कण्डेय ऋषि द्वारा रचित श्री दुर्गा-सप्तशती में मां भगवती के मुख्य रूप से तीन रूपों मां महाकाली, मां महालक्ष्मी तथा मां सरस्वती जी के क्रमश: प्रथम चरित्र, मध्यम चरित्र तथा उत्तर चरित्र के रूप में उपासना की गई है। 

हिमालय के यहां मां दुर्गा पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण शैलपुत्री कहलाईं। तपस्या रूपी होने से ब्रह्मचारिणी, देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र होने से चंद्रघंटा, ब्रह्मांड को उत्पन्न करने से कूष्माण्डा, स्कंद की माता होने से स्कंदमाता, महर्षि कात्यायन के घर भगवती पराम्बा के जन्म लेने से उनका एक नाम मां कात्यायनी, अंधकारमय स्थितियों का विनाश करने वाली शक्ति होने से कालरात्रि, गौर वर्ण होने से मां महागौरी, सर्वसिद्धियां प्रदान करने वाली मां दुर्गा को सिद्धिदात्री रूप में पूजा जाता है। मां के ये सभी स्वरूप शांतिप्रदायक एवं कल्याणकारी हैं।

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