‘मां, मैं इस देश की प्रधानमंत्री बनना चाहती हूं’

Edited By ,Updated: 02 Apr, 2015 05:05 PM

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दुनिया भर में लड़कियों और महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचार और उपेक्षा बढ़ती बच्चियों के नफीस मन को किस तरह उद्वेलित करती है

नई दिल्ली: दुनिया भर में लड़कियों और महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचार और उपेक्षा बढ़ती बच्चियों के नफीस मन को किस तरह उद्वेलित करती है, इसे दुनिया के सामने लाने के लिए यहां अपनी तरह की एक अनूठी प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है, जिसमें विश्वभर की किशोरियों के पत्र प्रदर्शित हैं। भारत, ब्रिटेन, चीन, मेक्सिको और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों की लगभग 3000 किशोरियों द्वारा लिखे गए पत्रों में से कुछ को छांटकर यहां हनुमान रोड स्थित स्पेनिश सांस्कृतिक केंद्र में क्रिएटिव सर्विस सपोर्ट ग्रुप की सहायता से प्रदर्शित किया गया है।  

क्रिएटिव सर्विस सपोर्ट ग्रुप ने दिसंबर 2014 में एक कार्यशाला आयोजित करके विश्वभर में किशोरियों से उनके विचारों को साझा करने वाले पत्र आमंत्रित किए थे और यहां उन्हीं पत्रों को प्रदर्शित किया गया है।  भारत से शामिल पत्रों में एक बात जो गौर करने लायक देखी जा सकती है वह यह है कि यहां समाज के हर वर्ग की लड़कियों ने पत्र भेजे हैं। इनमें समाज के सबसे निचले तबके से लेकर संभ्रांत परिवार तक की लड़कियों के पत्र हैं। इनमें मुख्यत: भारतीय समाज में महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव का पहलू नजर आता है। 

यहां प्रदर्शित एक पत्र में सौम्या भाटिया लिखती हैं, ‘क्यों मैं नि:स्वार्थ बनी रहूं, जब वे (पुरूष) सभी, ‘मैं, मुझे और मेरा’ करते हैं? क्यों मैं यह स्वीकार करूं कि मैं उनसे कम हूं, जबकि मैं स्वतंत्र हूं? क्यों मैं कुमारी या श्रीमती में चुनाव करूं जबकि वे हमेशा सिर्फ श्रीमान हैं?’  इसके अतिरिक्त यहां प्रदर्शित अन्य पत्रों में इन किशोरियों ने अपनी आकांक्षाओं, संवेदनाओं, स्वप्नों और आशाओं को व्यक्त किया है। किसी पत्र में कोई किशोरी सर्वश्रेष्ठ खानसामा, कोई पुलिस अधिकारी तो कोई देश की प्रधानमंत्री बनना चाहती है। ऐसे ही एक पत्र में सुमन ने अपनी मां को संबोधित करते हुए देश का प्रधानमंत्री बनने की इच्छा जताई है।  

सुमन ने लिखा है, ‘मां, मैं इस देश की प्रधानमंत्री बनना चाहती हूं। क्या मैं बन पाउंगी। मुझे विश्वास है कि यदि तुम मेरा साथ दो तो मैं जरूर यह कर पाउंगी।’ प्रदर्शनी में एक वीडियो भी प्रदर्शित किया गया है जिसमें शबाना आजमी, दिया मिर्जा, कोंकणा सेन शर्मा, अदिति राव हैदरी जैसी सिने तारिकाओं ने शिरकत की है। इनके अलावा रंगमंच कलाकार लुशिन दुबे एक किशोरी के पत्र को इस वीडियो में पढ़ती नजर आती हैं। 

इस वीडियो में विदुषी मेहरा (रंगमंच कलाकार) और रिद्धिमा कपूर (रणबीर कपूर की बहन) भी नजर आती हैं।  इसके अलावा प्रदर्शनी में इन पत्रों को कला रूप में भी प्रदर्शित किया गया है। नंदन घिया के एक मां के चित्र मेें उपर से उभारी गई नीली रेखाऐं उस मां की आकांक्षाओं को व्यक्त करती है। वहीं सचिन जॉर्ज सेबिस्टियन दर्पण और कागज से ख्वाबों के बुलबुलों को दर्शाते हैं। उनकी कलाकृति रोशनी के प्रभाव में हीरों की तरह जगमगाने लगती है और उसे देखकर एहसास होता है कि वाबों को अगर सहयोग के रंग मिलें तो जिंदगी रौशन हो जाती है।

 

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