संसार के ऐसे बुरे काम जिनका फल करने वाले को नहीं भोगना पड़ता

Edited By ,Updated: 08 Apr, 2015 03:11 PM

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लोकमान्य कहावत है जो जैसा करेगा वैसा भरेगा अर्थात अपने द्वारा किए गए कर्मों का भुगतान स्वयं को ही भोगना पड़ता है। जीवन में कभी-कभी ऐसी परिस्थितियां बन जाती हैं जब करे कोई भरे कोई वाले हालात बन जाते हैं अथवा आटे के साथ धुन भी पीस जाता है।

लोकमान्य कहावत है जो जैसा करेगा वैसा भरेगा अर्थात अपने द्वारा किए गए कर्मों का भुगतान स्वयं को ही भोगना पड़ता है। जीवन में कभी-कभी ऐसी परिस्थितियां बन जाती हैं जब करे कोई भरे कोई वाले हालात बन जाते हैं अथवा आटे के साथ धुन भी पीस जाता है।

आचार्य चाणक्य इस विषय में कहते हैं कि-

राजा राष्ट्रकृतं पापं राज्ञ: पापं पुरोहित:।

भर्ता च स्त्रीकृतं पापं शिष्यपापं गुरुस्तथा।।

अर्थात किसी व्यक्ति के गलत काम का फल उसे अकेले नहीं बल्कि दूसरों को भी भोगना पड़ता है। 

पति-पत्नी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। सात वचनों का बंधन उन्हें इस कद्र एक दूसरे से जोड़ देता है की दोनों में से कोई भी गलत काम करता है तो उसका नतीजा दोनों को ही भुगतना पड़ता है। अत: पति-पत्नी दोनों को एक-दूसरे को अच्छी राय देकर उचित मार्गदर्शन करना चाहिए।  

जब किसी देश का राजा कोई गलत काम करता है तो उसका उत्तरदायी राज्य का पुरोहित, मंत्री और सलाहकार हैं। अगर यह तीनों राजा का उचित मार्गदर्शन नहीं करेंगे तो वह उचित निर्णय लेने में असमर्थ होगा।

जब किसी देश की प्रजा गलत मार्ग पर चल पड़ती है तो उसका फल शासन को या उस देश के राजा को ही भोगना पड़ता है। 

जब कोई शिष्य गलत मार्ग पर चल पड़ता है तो उसका दोष गुरु को ही लगता है। 

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