मोदी के घर संजय जोशी की 'वापसी'

Edited By ,Updated: 19 Apr, 2015 11:06 PM

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के प्रमुख नेताओं के घर के बाहर पूर्व महासचिव संजय जोशी की पार्टी में वापसी की अपील वाले पोस्टर लगा दिए गए हैं। उन्हें मोदी का धुर विरोधी माना जाता है। प्रधानमंत्री मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और वरिष्ठ नेता...

 नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के प्रमुख नेताओं के घर के बाहर पूर्व महासचिव संजय जोशी की पार्टी में वापसी की अपील वाले पोस्टर लगा दिए गए हैं। उन्हें मोदी का धुर विरोधी माना जाता है। प्रधानमंत्री मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के घरों के सामने लगाए गए इन पोस्टरों में संजय जोशी की पार्टी में वापसी की तरफदारी की गई है।



मोदी की ओर से चुनाव के दौरान दिए नारे 'सबका साथ सबका विकास' में आगे जोड़ते हुए कहा गया है कि 'सबका साथ सबका विकास फिर क्यों नहीं संजय जोशी का साथ।' इसी तरह प्रधानमंत्री के रेडियो पर प्रसारित होने वाले 'मन की बात' कार्यक्रम का सहारा लेकर कहा गया है कि 'होती है सबसे मन की बात, फिर क्यों नहीं करते संजय जोशी से बात।' हालांकि, यह अब तक स्पष्ट नहीं है कि ये पोस्टर किसने लगाए हैं। साथ ही इन्हें तुरंत हटवा भी दिया गया।


इससे पहले पिछले दिनों संजय जोशी के जन्मदिन पर उन्हें बधाई देने वालों पर भी भाजपा ने सख्ती की थी। जोशी को जन्मदिन की बधाई वाले पोस्टर पर नाम होने की वजह से संजीव बालयान और सर्वानंद सोनवाल से पार्टी ने जवाब तलब किया था, जबकि श्रीपाद यशो नाइक के निजी सहायक का नाम ऐसे ही एक पोस्टर में होने से उस पर भी गाज गिरी थी।


भाजपा के पूर्व संगठन महासचिव संजय जोशी को वर्ष 2005 में पार्टी छोड़नी पड़ी थी। मगर बाद में उन्हें दुबारा पार्टी में ले लिया गया था। लेकिन पार्टी में राष्ट्रीय स्तर पर समीकरण बदलने के बाद उन्हें दुबारा पार्टी से बाहर होना पड़ा था। पिछली बार मोदी विरोधी पोस्टर लगाए जाने की शिकायत पर ही उन्हें पार्टी से निकाला गया था।


संजय जोशी की पूरी कहानी 
-1962 में नागपुर में जन्में संजय जोशी पेशे से इंजीनियर हैं । इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने नागपुर के एक इंजीनियर कालेज में बतौर लेक्चरर अपने करियर की शुरुआत की। लेकिन जल्द ही लेक्चरर पद से इस्तीफा देकर संघ के प्रचारक बन गए।
-1988 में वह गुजरात में सक्रिय राजनीति में प्रवेश किए। यह वह दौर था जब भाजपा गुजरात प्रांत में अपनी जमीन तलाश रही थी। जोशी ने यहां अथक मेहनत करके भाजपा को एक मजबूत आधार प्रदान किया। जब मोदी गुजरात भाजपा के महासचिव थे उस समय संजय जोशी गुजरात के प्रभारी थे। इसी दौरान दोनों के संबंधों में कटुता पनपी। तब से मोदी औऱ जोशी के संबंधों में यह कटुता बरकरार है ।
-2001 में जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने तब संघ ने जोशी काे दिल्ली बुला लिया। उन्हें संगठन में राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी दी गई।
-2005 मे अश्लील सीडी प्रकरण के बाद जाेशी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि, बाद में जांच में यह सीडी फर्जी पाई गई।
-2010 में गुजरात में एक पुलिस अफसर बालकृष्ण चौबे ने यह खुलासा किया कि यह सीडी मोदी के एक प्रिय पुलिस अफसर डीआइजी वीएन वंजारा ने उन्हें दी थी।
-2012 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के चीफ कोआर्डिनेटर के रूप में रहे।
हमेशा मोदी के निशाने पर रहे जोशी
- मई 2012 में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मोदी की जिद के चलते उन्हें बैठक से दूर रखा गया। इतना ही नहीं बैठक शुरू होने से दो घंटे पूर्व जब जोशी ने भाजपा की कार्यकारिणी से इस्तीफा दे दिया। तब मोदी बैठक में आने को राजी हुए इस घटना से संघ भी हतप्रभ था।
-मई 2013 में मोदी के दबाव के चलते जोशी को एक बार फिर भ्ााजपा की निर्वाचन समिति में आने से रोका गया और उन्हें कोई भी जिम्मेदारी नहीं दी गई।
मोदी के दबाव के चलते ही संघ के चहेते माने जाने वाले जोशी को पार्टी की कोई भी जिम्मेदारी नहीं प्रदान की गई। इतना ही नहीं उन्हें पार्टी की प्रत्येक गतिविधियों से दूर रखा जाता है। यह भी माना जाता है कि वह राजनाथ के काफी करीबी रहे हैं।
 

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