Edited By ,Updated: 19 Apr, 2015 12:31 PM
राजा हो या रंक, मौत एक दिन सभी को आनी है पर जो मौत रागी मलकीत सिंह बटाला को आई, उसकी चर्चा देशों-विदेशों में हो रही है।
गुरदासपुर: राजा हो या रंक, मौत एक दिन सभी को आनी है पर जो मौत रागी मलकीत सिंह बटाला को आई, उसकी चर्चा देशों-विदेशों में हो रही है। अमरीका के गुरुद्वारे सिख सोसायटी न्यूयार्क में शनिवार शाम को रागी मलकीत सिंह अपने रागी जत्थें के साथ कीर्तन कर रहे थे, जब उन्होंने शाम करीब 6.45 पर कीर्तन करते हुए श्री गुरु ग्रंथ साहिब की हजूरी में अपने प्राण त्याग दिए। उनकी मौत की यह वीडियो भी काफी चर्चित रही।
बटाला में जब उनका अंतिम संस्कार किया गया तो उनकी अंतिम यात्रा में हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए। उनके घर से नगर कीर्तन करते हुए उनकी मृतक देह शमशानघाट लाई गई, जहां उनकी पत्नी ने चिता को मुख्य अग्नि भेंट की। भाई साहिब अपने पीछे पत्नी और दो बेटियां छोड़ गए हैं।
भाई साहिब के अंतिम यात्रा में शामिल हर व्यक्ति की आंखें नम थी। भाई साहिब को कीर्तन की शिक्षा देने वाले गुरु जी ने बताया कि भाई मलकीत जी 12 साल की उम्र में उनके पास कीर्तन सीखने आए थे। छोटी सी उम्र में अपनी मीठी आवाज के साथ उन्होंने सभी का मन मोह लिया। उन्होंने कहा कि उनको खुशी है कि उनके शिष्य ने शब्द गान में अपना नाम मशहूर किया और प्रभु ने उनको अपने चरणों में जगह दी।