Edited By ,Updated: 19 Apr, 2015 03:13 PM
हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में रेलवे द्वारा भूमि मालिकों को समय पर मुआवजा न देने को लेकर अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने रेलवे विभाग को कड़ी फटकार लगाई है।
ऊना: हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में रेलवे द्वारा भूमि मालिकों को समय पर मुआवजा न देने को लेकर अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने रेलवे विभाग को कड़ी फटकार लगाई है। वहीं माननीय न्यायालय ने शिकायतकर्त्ताओं के वकील को रेलवे की सम्पति का ब्यौरा कोर्ट में फाईल करने के निर्देश भी दिए है। इस मामले की अगली सुनवाई 2 मई को होगी, जिसमें न्यायालय रेलवे की अचल सम्पति को अटैच कर सकता है।
आपको बतां दें कि यह मामला दिन-प्रतिदिन रोचक बनता जा रहा है क्योंकि न्यायालय द्वारा लिया गया एक ऐतिहासिक फैसला है। इस पर आने वाले दिनों में रेलवे की मुश्किलें भी बढ़ सकती है। वहीं भूमि मालिकों के वकील अरूण सैणी ने बताया कि 3 दिनों में रेलवे की सम्पति का ब्यौरा कोर्ट में फाईल कर दिया जाएगा।
इसके बाद विभिन्न अदालतों में कार्रवाई के बाद अंतत: 9 अप्रैल 2015 को कोर्ट ने जन शताब्दी ट्रेन को अटैच करने के आदेश जारी कर दिए। वहीं मौके पर रेलवे के अधिकारियों ने कोर्ट कर्मचारी (बैलिफ) को किसानों के मुआवजे के ड्राफ्ट की प्रति दिखाकर ट्रेन को जब्त होने से बचा लिया।
गौरतलब है कि नंगल तलवाड़ा रेलवे लाईन के ट्रैक बिछाने के लिए रेलवे द्वारा 1998 भूमि का अधिग्रहण किया था तथा भूमि मालिकों को उसकी एवज में पैसे भी दे दिए थे लेकिन मुआवजा कम मिलने को लेकर भूमि मालिकों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था जिस पर सनू 2011 में ऊना की अदालत ने भूमि मालिकों के हक का फैसला सुनाते हुए रेलवे को बढ़ा हुआ मुआवजा किसानों को देने के आदेश सुनाए थे।
जिसमें शिकायतकर्ता मेला राम को 8 लाख 91 हजार 424 रुपए तथा मदल लाल को 26 लाख 53 हजार 814 रुपए अदा करने थे लेकिन इस फैसले के खिलाफ रेलवे विभाग ने हाईकोर्ट में अपील दायर की जिस पर 2013 में माननीय हाईकोर्ट ने 6 सप्ताह के बीच मुआवजे की राशि जमा करवाने के आदेश दिए थे जिसे रेलवे ने पूरा नहीं किया और भुमि मालिकों ने दोबारा ऊना की अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में केस किया।