गुड मार्निंग और गुड ईवनिंग का अर्थ जानते हैं आप

Edited By ,Updated: 25 Apr, 2015 12:10 PM

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भारतीय दर्शन कहता है कि सफलता ही सब कुछ नहीं है बल्कि व्यक्ति को संतुष्टि भी चाहिए। सफलता के बावजूद जीवन में असफलता का अहसास बना रहेगा क्योंकि जीवन में संतुष्टि से ही आनंद आता है।

भारतीय दर्शन कहता है कि सफलता ही सब कुछ नहीं है बल्कि व्यक्ति को संतुष्टि भी चाहिए। सफलता के बावजूद जीवन में असफलता का अहसास बना रहेगा क्योंकि जीवन में संतुष्टि से ही आनंद आता है।

हम जो भी करते हैं वह क्रिया होना चाहिए, उसमें किसी काम को करने की इच्छा झलकनी चाहिए। अगर हम कोई काम प्रतिक्रिया स्वरूप करते हैं तो जीवन को नरक बना लेते हैं। छोटा-सा उदाहरण देखिए, हम गुड ईवनिंग क्यों कहते हैं? इसलिए कि आते-जाते हम मिलते हैं तो एक-दूसरे का अभिवादन करते हैं तो क्या यह औपचारिक है? 

शायद नहीं क्योंकि इसका मतलब होता है। मतलब है कि शाम सुंदर है और अगर सुंदर नहीं है तो हम इसे सुंदर बना सकते हैं लेकिन अगर हम शब्दों के बारे में सोचते नहीं हैं तथा उन्हें बस यंत्रवत उच्चारते जाते हैं तो जीवन में आश्चर्य व आनंद नहीं रहता। हम बस गुड ईवनिंग, गुड मार्निंग कहते हैं लेकिन हमारा आशय सुबह-शाम को सुंदर बनाने का नहीं होता। तब हम सुबह-शाम को महसूस नहीं कर रहे हैं। हम प्रतिक्रिया स्वरूप गुड मार्निंग कह रहे हैं लेकिन गुड मार्निंग का अर्थ हमें पता नहीं है। 

इस तरह के यंत्रवत जीवन में हमें कभी भी आश्चर्य की अनुभूति नहीं हो सकती है। जीवन में अगर आनंद पाना है तो सावधान भाव से, जागरूक भाव से, चैतन्य भाव से चीजों को ग्रहण करना होगा तो ही जीवन की उन्नति होगी। हर छोटी चीजों में आनंद को महसूस करना होगा, अनुभव करना होगा। अनुभव से ही ज्ञान की प्राप्ति हो सकती है।

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