सरसों के तेल में हैं जैतून जैसे गुण

Edited By ,Updated: 26 Apr, 2015 11:25 AM

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सरसों का तेल हृदय रोगों से बचाता है और इसके कुछ गुण जैतून तेल की तरह होते हैं । सरसों के तेल में असंतृप्त (अनसैचूरेटेड) वसा अम्लों की मात्रा अधिक होती है तथा संतृप्त (सैचूरेटेड) वसा अम्लों की मात्रा बहुत कम लगभग सात प्रतिशत होती है......

नई दिल्ली : सरसों का तेल हृदय रोगों से बचाता है और इसके कुछ गुण जैतून तेल की तरह होते हैं । सरसों के तेल में असंतृप्त (अनसैचूरेटेड) वसा अम्लों की मात्रा अधिक होती है तथा संतृप्त (सैचूरेटेड) वसा अम्लों की मात्रा बहुत कम लगभग सात प्रतिशत होती है । भोजन में संतृप्त वसा अम्लों के सेवन से रक्त धमनियां संकरी हो जाती है जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है ।  इस तेल में ओलिक अम्ल भी पाया जाता है जो इसकी गुणवत्ता को लंबे समय तक बनाए रखता है ।

सरसों के तेल में दो आवश्यक वसा अम्ल लिनोलीक और लिनोलेनिक भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है जिसे मानव शरीर नहीं निर्मित कर सकता । सरसों या राई की भारतीय किस्मों में इरूसिक अम्ल की मात्रा कुल वसा अम्लों की तुलना में 40-50 प्रतिशत तक होती है लेकिन विश्व स्तर पर इसकी दो प्रतिशत से कम मात्रा स्वीकार्य है । इरूसिक अम्ल के अधिक सेवन से वयस्कों मेंं मायोगार्डियल फाईब्रोसिस तथा बच्चों में लिपिडोसिस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। 

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