आलू को सडऩे से बचाने वाली तकनीक ईजाद की

Edited By ,Updated: 26 Apr, 2015 04:43 PM

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पंजाब के दोआबा इलाके में किसानों के लिए आलू की बंपर फसल अक्सर उनके लिए नुक्सान दायक रही है। किसानों को नुक्सान से बचाने की

जालंधरः पंजाब के दोआबा इलाके में किसानों के लिए आलू की बंपर फसल अक्सर उनके लिए नुक्सान दायक रही है। किसानों को नुक्सान से बचाने की दिशा में जालंधर स्थित केंद्रीय आलू शोध स्टेशन ने एक एेसी तकनीक विकसित की है जिससे आलू को न केवल सडऩे से बचाया जा सकेगा बल्कि इसे लंबे समय तक भंडारण करके भी रखा जा सकेगा।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के अधीन केंद्रीय आलू शोध स्टेशन (सीपीआरएस) की तकनीक के तहत आलू को बिना खराब हुए 8 महीने तक भंडारण करके रखा जा सकता है। इस तकनीक को विकसित करने वाले सीपीआरएस की प्रधान वैज्ञानिक डा आशिव मेहता ने इस बारे में बताया, ''आलू में लगभग 80 फीसदी पानी की मात्रा होती है। यही कारण है कि मिट्टी से निकालने के कुछ ही हफ्ते बाद यह खराब होना शुरू हो जाता है।''

महिला वैज्ञानिक ने बताया, ''अगर हम इस पानी को आलू से निकाल दें तो इसका जीवनकाल कुछ हफ्तों से बढ़कर 8 महीने तक हो सकता है और इतने समय तक इसे भंडारण करके भी रखा जा सकता है।'' सीपीआरएस के दो अन्य सहयोगियों के साथ इस तकनीक को विकसित करने वाली डा मेहता ने कहा, ''हमने इस तकनीक का नाम ‘डिहाइड्रेशन आफ पोटैटो’ रखा है और यह पर्यावरण अनुकूल भी है।'' मेहता ने बताया, ''इस तकनीक के लिए हमने एक एक मशीन बनाई है जिसमें आलू को पहले छीला जाता है फिर काटा जाता है और इसे सुखाया जाता है। यह सब मशीन में अपने आप होता है। फिर इसे भंडारण के लिए प्लास्टिक की थैलियों में पैक कर दिया जाता है।''

उन्होंने यह भी बताया, ''सब्जी बनाने के दौरान जब हम इसका इस्तेमाल करते हैं तो यह पूरी तरह सही और बेहतर होता है तथा इसका स्वाद ठीक वैसा ही होता है जैसा ताजे आलू का होता है। पैकिंग से पहले इसमें विटामिन सी भी मिलाया जा सकता है और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए इसमें अन्य विटामिन और मिनरल जैसे विटामिन बी, आयरन और जिंक भी मिलाकर प्रयोग किया जा सकता है।'' महिला वैज्ञानिक ने कहा कि स्वाद के लिए इसमें पुदीना और काली मिर्च तथा अन्य मसालों के फ्लेवर भी मिलाए जा सकते हैं।  

उन्होंने कहा कि आमतौर पर दिसंबर से मार्च तक आलू की खेती होती है और इस दौरान फसल तैयार होने के बाद अगर उन्हें शीतगृहों में नहीं रखा जाए तो कुछ ही हफ्तों में यह सडना शुरू हो जाता है। इस तकनीक के माध्यम से इसे सडऩे से बचाया जा सकता है।
 

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